Maha Shivratri Vrat Niyam: पहली बार व्रत करने जा रहे हैं तो अपनाएं ये स्टेप
1.व्रत के एक दिन पहले ही व्रत का नियम (Maha Shivratri Vrat Niyam) ग्रहण कर लेना चाहिए। इसके लिए गुरु या विद्वान ब्राह्मण से जानकारी लेनी चाहिए।
महाशिवरात्रि व्रत संकल्प
“ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्यैतस्य मासोत्तमे मासे फाल्गुने मासे कृष्णेपक्षे चतुर्दश्यां तिथौ ………… वासरे ………… गोत्रोत्पन्नः ………… शर्माऽहं (वर्माऽहं/गुप्तोऽहं वर्णानुसार) ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवव्रतमहं करिष्ये ॥” 5.रात के पहले प्रहर (प्रदोष काल) में पूजा की तैयारी करके घर या शिवमंदिर जहां भी पूजा करनी हो, आसन पर बैठ कर पवित्रीकरण , गणपत्यादि पंचदेवता और भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा, स्वस्तिवाचन आदि करके पुनः संकल्प करें । इसके बाद मंत्रों के साथ इन गतिविधियों को पूरा करें
आचमन मंत्र : ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः पढ़ते हुए तीन बार आचमन करके ओठों को अंगुष्ठमूल से पोंछकर हाथ धो लें और पढ़ें ॐ हृषीकेशाय नमः ॥
दिग्बंधन मंत्र : ॐ अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः, ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया पढ़ते हुए बांयें हाथ में पीली सरसों लेकर दाहिने हाथ से ढंककर अभिमंत्रित करें, इसके बाद दशों दिशाओं में छिड़काव करना चाहिए।
रक्षाबंधन या मौली बांधना : ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल पढ़ते हुए रक्षासूत्र बांधे।
पंञ्चदेवता पूजन
अक्षत : इदं अक्षतं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवता: इहागच्छत इह तिष्ठत ॥
जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
अक्षत : इदं अक्षतं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
फूल : पुष्पांजलिं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
विसर्जन : ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवता: पूजितास्थ प्रसीदत प्रसन्ना: भवत छमध्वं स्व-स्व स्थानं गच्छत॥
विष्णु पूजन मंत्र
तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ॥जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
तुलसी : एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
फूल : पुष्पांजलिं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
विसर्जन : ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् विष्णो पूजितोसि प्रसीद प्रसन्नो भव छमस्व स्व स्थानं गच्छ ॥
पूजा संकल्प मंत्र
ॐ अस्यां रात्रौ मासानां मासोत्तमे फाल्गुने मासे कृष्णे पक्षे चतुर्दश्यां तिथौ ………… वासरे ……….. गोत्रस्य मम श्री ……….. शर्मणः/वर्मणः/गुप्तः (सपत्नीकः) सपरिवारस्य ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, सकल मनोरथ सिध्यर्थं श्रुति स्मृति पुराणतन्त्रोक्त फलप्राप्त्यर्थं शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये ॥
संक्षिप्त दशदिक्पाल और नवग्रह पूजन विधि मंत्र
दश-दिक्पाल : इदं अक्षतं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीइन्द्रादि दशदिक्पालाः इहागच्छत इह तिष्ठत ॥
आवाहन करके सभी वस्तुओं से पूजा करें
पूजन मंत्र – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीइन्द्रादि दशदिक्पालेभ्यो नमः एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीय-पुनराचमनीयानि , इदमनुलेपनं, इदमक्षतं, इदं पुष्पं, एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल यथाभागं नैवेद्यं, इदमाचमनीयं, इदं दक्षिणा-द्रव्यं, एष पुष्पाञ्जलिः – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीइन्द्रादि दशदिक्पालेभ्यो नमः॥
पूजन मंत्र – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः, एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीय-पुनराचमनीयानि, इदमनुलेपनं, इदमक्षतं, इदं पुष्पं, एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल यथाभागं नैवेद्यं, इदमाचमनीयं, इदं दक्षिणा-द्रव्यं, एष पुष्पाञ्जलिः – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः॥
इसके बाद भजन, आरती आदि के बाद पूजा संपन्न करें।