हालांकि डोटासरा ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ‘कल अध्यक्ष महोदय को एक समाचार पत्र में छपी कपोल-कल्पित ख़बर पर भावुक देखकर मन को कष्ट पहुंचा है। वासुदेव देवनानी जी अच्छे एवं नेक इंसान हैं लेकिन बिना तथ्यों को जाने एवं बिना दूसरे पक्ष की सुने अवास्तविक हवाई ख़बर पर यूं प्रतिक्रिया देंगे यह अपेक्षा से परे है। कहा- फिर भी उन्हें कष्ट पहुंचा है, तो मैं व्यक्तिगत तौर पर उनसे मिलकर खेद प्रकट करूंगा।’
विधानसभा में गतिरोध को लेकर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि विधानसभा में गतिरोध दुर्भाग्यपूर्ण है। हम सभी ने प्रयास किया, यह गतिरोध टूटे, लेकिन टूट नहीं पाया। आज महाशिवरात्रि का पर्व है, जो हमें त्याग और कर्त्तव्य की सीख देता है। जिस तरह भगवान शंकर ने संसार की भलाई के लिए हलाहल विष का पान किया, उसी तरह हमें भी जनहित के लिए व्यक्तिगत हित, मान, अपमान और हठधर्मिता को भुला कर सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रयास करना होगा।
‘हमें निभानी होगी शंकर की भूमिका’- जूली
उन्होंने आगे कहा कि हमें प्रदेशहित में सारे घटनाक्रम को भुलाकर नई शुरुआत करनी चाहिए। इसके लिए हम सभी को शंकर की भूमिका निभानी होगी। हमें भी राजस्थान की 8 करोड़ जनता के हित में अपमान रूपी विष पीना होगा और लंबे समय से चल रहे गतिरोध को तोड़ना होगा। कहां अटका है मामला?
21 फरवरी को विधानसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा इंदिरा गांधी पर की गई टिप्पणी के बाद विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा मचाया। स्पीकर देवनानी ने कांग्रेस विधायकों के आसन तक आकर नारेबाजी करने पर 6 विधायकों को निलंबित कर दिया। सदन में विपक्ष के धरने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच माफी मांगने को लेकर सहमति बनी। ऐसे में डोटासरा का कहना है कि मैंने विधानसभा में खेद प्रकट कर दिया। लेकिन, मंत्री अविनाश गहलोत ने माफी नहीं मांगी।
वहीं, सोमवार को डोटासरा ने स्पीकर वासुदेव देवनानी को लेकर टिप्पणी कर दी, जिसके बाद मामला पलट गया। ऐसे में सत्ता पक्ष डोटासरा से बिना शर्त माफी चाहता है। लेकिन विपक्ष मंत्री अविनाश गहलोत से माफी मंगवाना चाहता है।