इसमें वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ शिव जी के लिए सोलह अनुष्ठान करना चाहिए। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इन 16 अनुष्ठानों द्वारा महाशिवरात्रि पर देवी-देवताओं का पूजन समेत सभी चरण अपनाने चाहिए। आइये जानते हैं महाशिवरात्रि संपूर्ण पूजा विधि और मंत्र (Maha shivratri puja mantra)
ध्यान
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि पूजा का आरंभ पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसके समक्ष बैठकर भगवान शिव के ध्यान से करना चाहिए। भगवान शिव का ध्यान करते समय नीचे लिखे मंत्र पढ़ना चाहिए ..
शिव ध्यान मंत्र
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
बन्धूकसन्निभं देवं त्रिनेत्रं चन्द्रशेखरम्।
त्रिशूलधारिणं वन्दे चारुहासं सुनिर्मलम्॥
कपालधारिणं देवं वरदाभयहस्तकम्।
उमया सहितं शम्भुं ध्यायेत् सोमेश्वरं सदा॥

आवाहन
भगवान शिव का ध्यान करने के बाद अनुष्ठान के लिए भगवान शिव का आवाहन करना चाहिए। इसके लिए पार्थिव शिवलिंग के सामने आवाहन मुद्रा में दोनों हथेलियों को मिलाकर और अंगूठे को अंदर की ओर मोड़कर आवाहन मुद्रा बनाकर नीचे लिखे मंत्र पढ़ना चाहिए ..
शिव आवाहन मंत्र
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजां करिष्यामि तावत्त्वं सन्निधौ भव॥
पाद्य अर्पण
भगवान का आवाहन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें।
शिव पाद्य मंत्र
महादेव महेशान महादेव परात्पर।
पाद्यं गृहाण मद्दतं पार्वतीसहितेश्वर॥
अर्घ्य
पाद्य अर्पण के बाद भगवान शिव को मस्तक के अभिषेक के लिए जल अर्पित करना चाहिए। इस दौरान नीचे लिखे मंत्र को पढ़ें
शिव अर्घ्य मंत्र
त्र्यम्बकेश सदाचार जगदादिविधायक।
अर्घ्यं गृहाण देवेश साम्बसर्वार्थदायक॥
आचमन कराएं
भगवान शिव को अर्घ्य अर्पित करने के बाद भगवान शिव को आचमन के लिए जल अर्पित करें। इसके लिए नीचे शिव आचमनीय मंत्र पढ़ना चाहिए
शिव आचमनीय मंत्र
त्रिपुरान्तक दीनार्तिनाश श्रीकण्ठशाश्वत।
गृहाणाचमनीयं च पवित्रोदककल्पितम्॥
गोदुग्ध-स्नान
आचमन के बाद भगवान शिव को गाय के दूध से स्नान कराएं, इस दौरान शिव गोदुग्धस्नान मंत्र पढ़ें।
शिव गोदुग्धस्नान मंत्र
मधुरं गोपयः पुण्यं पटपूतं पुरस्कृतम्।
स्नानार्थं देव देवेश गृहाण परमेश्वर!॥

दधि स्नान (दही से स्नान)
गाय के दूध से स्नान कराने के बाद भगवान शिव का दधि (दही) से अभिषेक करें और शिव दधिस्नान मंत्र पढ़ें।
शिव दधिस्नान मंत्र
दुर्लभं दिवि सुस्वादु दधि सर्वप्रियं परम्।
पुष्टिदं पार्वतीनाथ! स्नानाय प्रतिगृह्यताम्॥
घृत स्नान (घी स्नान)
दही से स्नान कराने के बाद भगवान शिव को घी से अभिषेक करें और शिव घृत स्नान मंत्र पढ़ें …
शिव घृत स्नान मंत्र
घृतं गव्यं शुचि स्निग्धं सुसेव्यं पुष्टिमिच्छताम्।
गृहाण गिरिजानाथ स्नानाय चन्द्रशेखर॥
मधु स्नान
घी से अभिषेक के बाद भगवान शिव को शहद अर्पित करना चाहिए। इस दौरान शिव मधु स्नान मंत्र पढ़ना चाहिए
शिव मधु स्नान मंत्र
मधुरं मृदु मोहघ्नं स्वरभङ्गविनाशनम्।महादेवेदमुत्सृष्टं तव स्नानाय शंकर॥
शर्करा स्नान (शक्कर से अभिषेक)
मधु से अभिषेक के बाद भगवान शिव का शर्करा (शक्कर) से अभिषेक करें और शिव शर्करा स्नान मंत्र प ढ़ना चाहिए।
शिव शर्करा स्नान मंत्र
तापशान्तिकरी शीता मधुरास्वादसंयुता।
स्नानार्थं देवदेवेश! शर्करेयं प्रदीयते॥
शुद्धोदक स्नान (गंगाजल या स्वच्छ जल से स्नान)
शक्कर से स्नान कराने के बाद शुद्धोदक स्नान समर्पित करना चाहिए यानी भगवान शिव का शुद्ध और स्वच्छ जल से अभिषेक करना चाहिए। गंगाजल से अभिषेक कर सकें तो बेहतर होगा। इस दौरान शिव शुद्धोदक स्नान मंत्र पढ़ना चाहिए
शिव शुद्धोदक स्नान मंत्र
गङ्गा गोदावरी रेवा पयोष्णी यमुना तथा।
सरस्वत्यादितीर्थानि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥

वस्त्र अर्पण
शिवजी के अभिषेक के बाद महाशिवरात्रि पूजा के अगले चरण में भगवान को वस्त्र भेंट करना चाहिए और शिव वस्त्र मंत्र पढ़ना चाहिए ..
शिव वस्त्र मंत्र
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोकलज्जानिवारणे।
मयोपपादिते देव! गृह्यतां वाससी शुभे॥
यज्ञोपवीत (जनेऊ अर्पण)
वस्त्र अर्पित करने के बाद जनेऊ अर्पित करना चाहिए, ये न उपलब्ध हो तो भगवान शिव को पवित्र सूत्र अर्पित करें और शिव यज्ञोपवीत मंत्र पढ़ें ..
शिव यज्ञोपवीत मन्त्र
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं चोत्तरीयं गृहाण पार्वतीपते!॥
गन्ध (चंदन अर्पण)
यज्ञोपवीत अर्पित करने के बाद महादेव को गंध अर्पित करना चाहिए। इस कड़ी में भगवान शिव को सूखा चन्दन अथवा चन्दन का लेप अर्पित करें। इस समय शिव गंध मंत्र पढ़ें
शिव गंध मंत्र
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥
अक्षत (चावल)
चावल सृष्टि का प्रथम अन्न माना जाता है, इसलिए पूजा में इसका बड़ा महत्व होता है। महाशिवरात्रि की षोडशोपचार शिव पूजा में गंध अर्पित करने के बाद शिवजी को अक्षत भी चढ़ाना चाहिए। इस दौरान शिव अक्षता मंत्र पढ़ना चाहिए
शिव अक्षता मन्त्र
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ शुभ्रा धूताश्च निर्मलाः।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर॥
पुष्पाणि (पुष्प अर्पण)
अक्षत के बाद महाशिवरात्रि पर शिवजी को मंत्र के साथ फूल माला चढ़ानी चाहिए और शिव पुष्पाणि मंत्र पढ़ना चाहिए।
शिव पुष्पाणि मंत्र
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयाऽऽनीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर॥
बिल्वपत्राणि (बेल पत्र अर्पण)
बिना बेल पत्र अर्पित किए भगवान शिव की पूजा पूरी नहीं होती, इसलिए फूल चढ़ाने के बाद भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाएं और शिव बिल्व पत्राणि मंत्र पढ़ें
शिव बिल्व पत्राणि मंत्र
बिल्वपत्रं सुवर्णेन त्रिशूलाकारमेव च।
मयाऽर्पितं महादेव! बिल्वपत्रं गृहाण मे॥
धूपम् (धूप बत्ती)
बेल पत्र चढ़ाने के बाद शिव धूप मंत्र चढ़ाते हुए भगवान शिव का शिव धूप मंत्र पढ़ना चाहिए।
शिव धूप मंत्र
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥

दीप
धूप अर्पित करने के बाद दीप अर्पित करना होता है। इसके लिए भगवान शिव के निमित्त शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं।
शिव दीप मंत्र
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश! त्रैलोक्यतिमिरापहम्॥
नैवेद्य (मिठाई, फल फूल)
दीप जलाने के बाद भगवान शिव को नैवेद्य अर्पित करना होता है। इसके लिए दीपदान के बाद हाथ धोएं और शिवजी को स्वच्छ हाथ से नैवेद्य अर्पित करें। नैवेद्य में विभिन्न प्रकार के फल अपनी सामर्थ्य के अनुसार मिठाई चढ़ाना चाहिए। इस दौरान शिव नैवेद्य मंत्र पढ़ना चाहिए।
शिव नैवेद्य मंत्र
शर्कराघृतसंयुक्तं मधुरं स्वादु चोत्तमम्।
उपहारसमायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्॥
आचमन
भगवान शिव को नैवेद्य अर्पित करने के बाद आचमन कराएं और शिव आचमनीय मंत्र पढ़ें .
शिव आचमनीय मंत्र
एलोशीर-लवङ्गादि-कर्पूर-परिवासितम्।
प्राशनार्थं कृतं तोयं गृहाण गिरिजापते!॥
ताम्बूलम् (पान)
शिवजी को आचमन कराने के बाद पान पेश करें और शिव तांबूल मंत्र पढ़ें
शिव ताम्बूल मंत्र
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
ऐलाचूर्णादिसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्॥
दक्षिणा
तांबूल पेश करने के बाद भगवान शिव को दक्षिणा के रूप में धन अर्पित करें और शिव दक्षिणा मंत्र पढ़ें।
शिव दक्षिणा मंत्र
हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥
आरार्तिक्यम् (आरती)
दक्षिणा अर्पित करने के बाद पूजा की थाली में कपूर जला कर, शिव मंत्र जपते हुए भगवान शिव की आरती करें।
शिव आरती
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं च प्रदीपितम्।
आरार्तिक्यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव॥
प्रदक्षिणा
आरती के बाद प्रदक्षिणा करें, हालांकि प्रदक्षिणा में भगवान शिव की आधी परिक्रमा ही करना चाहिए।
शिव प्रदक्षिणा मंत्र
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि वै।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणां पदे पदे॥
मन्त्रपुष्पाञ्जलिः (पुष्पांजलि)
शिवजी की प्रदक्षिणा के बाद मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करने का विधान है। इसलिए शिव मंत्र पुष्पांजलि पढ़ते हुए भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
शिव मंत्र पुष्पाञ्जलि
नानासुगन्धपुष्पैश्च यथा कालोद्भवैरपि।
पुष्पाञ्जलिर्मया दत्ता गृहाण महेश्वर॥
क्षमा प्रार्थना
पुष्पांजलि के बाद किसी भी पूजा में देवता से क्षमा जरूर मांगनी चाहिए, क्योंकि छोटा हो या बड़ा अनुष्ठान में कुछ न कुछ त्रुटि रह ही जाती है। इसलिए आराध्य से इसके लिए क्षमा याचना जरूर कर लेनी चाहिए। महाशिवरात्रि अनुष्ठान में शिव पूजा की प्रक्रिया में भगवान शिव से क्षमा-याचना करें और ये मंत्र पढ़ें।
शिव क्षमा-प्रार्थना मंत्र
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्।पूजां चैव न जानामि क्षमस्व मां महेश्वर॥
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम।
तस्मात्कारुण्यभावेन रक्षस्व पार्वतीपते॥
गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्यमेव च।
आगता सुखसम्पत्तिः पुण्याच्च तव दर्शनात्॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर!।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे॥
यदक्षरपदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद नन्दिकन्धर॥