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स्ट्रोक यूनिट से मरीजों को क्या फायदा होगा
मस्तिष्क आघात (ब्रेन स्ट्रोक) एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है, जिसमें तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है। ऐसे मामलों में सही समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से मरीज की जान बचाई जा सकती है और उसके स्वास्थ्य को स्थायी क्षति से रोका जा सकता है। बलरामपुर अस्पताल में बनी यह नई स्ट्रोक यूनिट 24 घंटे कार्यरत रहेगी, जिससे मरीजों को त्वरित चिकित्सा सहायता उपलब्ध होगी।स्ट्रोक क्या है और यह क्यों खतरनाक है
- ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क तक रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है या रक्त का संचार सही ढंग से नहीं हो पाता। यह दो प्रकार का हो सकता है:
- इस्केमिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।
- हेमरेजिक स्ट्रोक: यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है, जिससे रक्तस्राव होता है।
- अगर मरीज को पहले 3 से 4.5 घंटे के अंदर सही इलाज नहीं मिला तो यह स्थिति जानलेवा हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए, बलरामपुर अस्पताल में आधुनिक उपकरणों से लैस स्ट्रोक यूनिट स्थापित की गई है।
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कैसे करेगा काम स्ट्रोक यूनिट
24 घंटे उपलब्ध रहेगी मेडिकल टीम जो तुरंत मरीज की स्थिति का आकलन करेगी।थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी दी जाएगी, जिससे खून के थक्के को घुलाया जा सके और रक्त संचार सामान्य हो।
सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी आधुनिक जांच सुविधाएं मरीजों को तेजी से उपलब्ध कराई जाएंगी।
मरीजों को सघन निगरानी (आईसीयू) और न्यूरोलॉजी विशेषज्ञों की देखरेख में रखा जाएगा।
रीहैबिलिटेशन (पुनर्वास) सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे स्ट्रोक से उबरने वाले मरीजों को फिजियोथेरेपी और अन्य सहायता दी जाएगी।
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बलरामपुर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
बलरामपुर अस्पताल लखनऊ का एक प्रमुख सरकारी अस्पताल है, जहां हजारों मरीज रोजाना इलाज करवाते हैं। हाल ही में अस्पताल प्रशासन ने कई नई स्वास्थ्य सेवाओं को जोड़ा है। स्ट्रोक यूनिट के अलावा, अस्पताल में हृदय रोग विभाग, कैंसर उपचार यूनिट, और डायलिसिस सेंटर जैसी सुविधाओं को भी उन्नत किया गया है।विशेषज्ञों की राय
अस्पताल निदेशक डॉ. सुशील ने कहा, “ब्रेन स्ट्रोक के मरीजों को तुरंत इलाज की जरूरत होती है। यह नई स्ट्रोक यूनिट मरीजों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगी और कई जिंदगियां बचाने में मदद करेगी।” वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल वर्मा के अनुसार, “स्ट्रोक के मरीजों को ‘गोल्डन आवर’ यानी पहले कुछ घंटों में इलाज मिलना बहुत जरूरी होता है। अगर समय पर दवा और थेरेपी मिल जाए, तो मरीज को लकवा और अन्य गंभीर दिक्कतों से बचाया जा सकता है।”उत्तर प्रदेश में शराब और भांग की दुकानों के लिए 2 लाख आवेदन, सरकार को मिले 1066.33 करोड़ रुपये
जनता को क्या करना चाहिए
अगर किसी व्यक्ति को अचानक बोलने में कठिनाई, चेहरे का एक हिस्सा झुकना, हाथ-पैरों में कमजोरी, या तेज सिरदर्द जैसी समस्याएं हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्ट्रोक का समय पर इलाज होने से मरीज की जान बचाई जा सकती है।बलरामपुर अस्पताल में 24 घंटे कार्यरत स्ट्रोक यूनिट की स्थापना लखनऊ और आसपास के मरीजों के लिए राहत की खबर है। इस अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा से ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में तेजी से इलाज संभव होगा, जिससे कई लोगों की जान बचाई जा सकेगी।