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2 हजार 143 रुपए प्रति माह में कैसे चले घर, मनरेगा श्रमिकों से भी कम वेतन

महंगाई के इस दौर में जहां सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्ते में बढ़ोतरी हो रही है तो वहीं प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मिल योजना में भोजन पकाने वाली महिला कुक कम हेल्पर अल्प वेतन पर काम करने पर मजबूर है।

बूंदीApr 06, 2025 / 05:00 pm

पंकज जोशी

2 हजार 143 रुपए प्रति माह में कैसे चले घर, मनरेगा श्रमिकों से भी कम वेतन

बूंदी. स्कूल में बच्चों के लिए पोषाहार बनाते हुए।

बूंदी. महंगाई के इस दौर में जहां सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्ते में बढ़ोतरी हो रही है तो वहीं प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे-मिल योजना में भोजन पकाने वाली महिला कुक कम हेल्पर अल्प वेतन पर काम करने पर मजबूर है। देखा जाए तो इनको मात्र 71 रुपए प्रतिदिन का अनुदान मिलता है, जिससे कर्मियों का गुजारा भी नहीं हो पाता है। इनमें से कई महिला कुक कम हेल्पर तो ऐसी है जिनका पूरा समय ही स्कूल में बीत जाता है और वे दूसरा कार्य नहीं कर पाती है।
इतने कम मानदेय पर काम करने के बाद भी कुक कम हेल्पर को मानदेय भी समय पर नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 1 लाख 20 हजार के आसपास व बूंदी जिले में 2339 कुक कम हेल्पर कार्यरत है। स्कूलों में कक्षा 8 तक के बच्चों को मिड डे मील के तहत मेन्यू चार्ट के अनुसार दाल, सब्जी, रोटी व चावल पकाया जाता है। साथ ही दूध भी गर्म किया जाता है। वहीं फल भी दिया जाता है। विद्यालय स्तर पर शाला प्रबंधन समिति की देखरेख में भोजन बनाकर छात्रों को वितरित किया जाता है।
इसे पकाने के लिए सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संया के अनुपात के अनुसार महिला कुक कम हेल्पर रखे हैं। इनको प्रतिमाह 2143 रुपए मानदेय का भुगतान किया जाता है। मार्च तक इनका मानदेय 2 हजार था तथा अप्रेल में 2143 रुपए किया। पोषाहार पकाने वाली महिलाओं का कहना है कि इतने काम मानदेय में घर परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है।
तो डेढ़ माह के मानदेय पर कटौती
अल्प वेतन मिलने के बावजूद जहां शिक्षकों को गर्मियों की छुट्टी का वेतन मिलता है तो वहीं इनके वेतन पर कैंची चल जाती है, जिसके चलते यह कार्मिक ठगा सा महसूस करते हैं। ऐसे में कुक कम हेल्पर को अल्प मानदेय में घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है। सर्दी गर्मी या फिर बारिश हो कुक कम हेल्पर को स्कूल खुलने पर हर हाल में स्कूल आना पड़ता है। हालांकि जरुरी कार्य के चलते अनुपस्थित रहने पर मानदेय में कटौती की जाती है।
यह होता है कार्य
कुक कम हेल्पर को स्कूल खुलने के समय पहुंचना पड़ता है। रसोई की साफ-सफाई के बाद मध्यांतर तक खाना पकाकर बालकों को परोसना पड़ता है। जबकि अब सभी स्कूलों में रसोई गैस कनेक्शन उपलब्ध होने के बाद रोटियों को सेंकने का कार्य अब गैस के चूल्हों पर हो रहा है। खाना परोसने के बाद बर्तन साफ करना व रसोई का काम निपटा कर फिर साफ-सफाई कर घर पहुंचने तक शाम हो जाती है।
मानदेय में बढ़ोतरी की मांग
जानकारी अनुसार मनरेगा में कार्य करने वाले श्रमिकों को प्रतिदिन 266 रुपए मजदूरी का भुगतान किया जाता है। जबकि कुक कम हेल्पर को मात्र 71 रुपए का भुगतान किया जाता है। ऐसे में इनके परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है। कुक कम हेल्पर लंबे समय से मानदेय में बढ़ोतरी की मांग कर रहे है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इनका कहना
राज्य सरकार द्वारा कुक कम हेल्पर को निर्धारित दरों पर प्राप्त मानदेय का वितरण किया जाता है।
डॉ.महावीर कुमार शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी,बूंदी

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