अल्प वेतन मिलने के बावजूद जहां शिक्षकों को गर्मियों की छुट्टी का वेतन मिलता है तो वहीं इनके वेतन पर कैंची चल जाती है, जिसके चलते यह कार्मिक ठगा सा महसूस करते हैं। ऐसे में कुक कम हेल्पर को अल्प मानदेय में घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है। सर्दी गर्मी या फिर बारिश हो कुक कम हेल्पर को स्कूल खुलने पर हर हाल में स्कूल आना पड़ता है। हालांकि जरुरी कार्य के चलते अनुपस्थित रहने पर मानदेय में कटौती की जाती है।
कुक कम हेल्पर को स्कूल खुलने के समय पहुंचना पड़ता है। रसोई की साफ-सफाई के बाद मध्यांतर तक खाना पकाकर बालकों को परोसना पड़ता है। जबकि अब सभी स्कूलों में रसोई गैस कनेक्शन उपलब्ध होने के बाद रोटियों को सेंकने का कार्य अब गैस के चूल्हों पर हो रहा है। खाना परोसने के बाद बर्तन साफ करना व रसोई का काम निपटा कर फिर साफ-सफाई कर घर पहुंचने तक शाम हो जाती है।
जानकारी अनुसार मनरेगा में कार्य करने वाले श्रमिकों को प्रतिदिन 266 रुपए मजदूरी का भुगतान किया जाता है। जबकि कुक कम हेल्पर को मात्र 71 रुपए का भुगतान किया जाता है। ऐसे में इनके परिवार का पालन पोषण नहीं हो पा रहा है। कुक कम हेल्पर लंबे समय से मानदेय में बढ़ोतरी की मांग कर रहे है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
राज्य सरकार द्वारा कुक कम हेल्पर को निर्धारित दरों पर प्राप्त मानदेय का वितरण किया जाता है।
डॉ.महावीर कुमार शर्मा, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी,बूंदी