संभाग में बीकानेर से सूरतगढ़ के बीच के क्षेत्र से लेकर पश्चिम सीमा तक नजर आ रहे पक्षियों के फोटो क्षेत्रीय वन अधिकारी एवं वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर विकास स्वामी ने अपने कैमरे में कैद कर पत्रिका से साझा किए हैं। बीकानेर में भी जोड़बीड़ में कई तरह के प्रवासी गिद्ध, चील और बाज सर्दियां बिताकर अब वापस अपने देश जाने लगे हैं। दरबारी और गजनेर झील में कुरजां अभी प्रवास पर हैं। कुछ पक्षियों का दिखना कई तरह के संकेत भी देते हैं।
हरियल पक्षी कबूतर…
येलो फुटेड ग्रीन पिजन यानी कबूतर। इस पक्षी के बारे में मान्यता है कि यह धरती पर कभी पैर नहीं रखता। यदि यह धरती पर उतरता भी है, तो अपने पंजों में लकड़ी का टुकड़ा दबाए रखता है। उसी पर बैठता है। हरियल पक्षी पूर्णत: शाकाहारी होता है। यह महाराष्ट्र का राज्य पक्षी है। इस पक्षी के समूह इन दिनों हमारे क्षेत्र में पेड़ों पर नजर आ रहे हैं। इसी तरह जोड़बीड़ में पीली आंख वाले कबूतर भी इस बार खूब आए हैं। इनकी विश्व में महज एक प्रतिशत आबादी बची है। यह कबूतर कजाकिस्तान, अफगानिस्तान से यहां आते हैं। इन दिनों यह वापस जाने शुरू हो गए हैं।
शुभ संकेत दे रहा हॉर्नबिल
बीकानेर क्षेत्र में कई जगह भूरा-ग्रे पक्षी भारतीय हॉर्नबिल दिखाई पड़ा है। इसे धनेश पक्षी और शुभ संकेत देने वाला कहा जाता है। काली चोंच पर एक नुकीला ताबूत होती है। नर में काली कक्षीय त्वचा के साथ लाल-भूरी आंखें होती हैं। मादा में छोटे कास्क, गहरे भूरे रंग की आंखें और सुस्त लाल कक्षीय त्वचा होती है। यह पक्षी आमतौर पर जोड़े में रहता है। हॉर्नबिल का वैज्ञानिक नाम बूसेरोस बिकोर्निस है। इस पक्षी के जोड़ों को कई जगह देखा गया है।
स्काेप आउल आ रहा नजर
इंडियन स्कोप आउल की लंबाई 25 सेमी तक होती है। जूलोजिकल भाषा में इसे ऑटसबाका मोईना के नाम से पहचाना जाता है। इस पक्षी का चेहरा गहरी भूरी लाइन के किनारे से बना होता है। जिससे यह सामान्य उल्लू से अलग नजर आता है। अलग-अलग जगह प्रवास काल के दौरान भौगोलिक परिवेश व वातावरण के अनुसार यह अपना रंग बदलता रहता है। कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक यह दिखाई पड़ता है। यह उल्लू दुलर्भ होता है। रेंजर विकास स्वामी ने बताया कि वन विभाग के सूरतगढ़ ऑफिस में यह उल्लू नजर आया है। इसकी एक्टिविटीज पर नजर रखी जा रही है।
झील-तालाबों में दिखा पेंटेड स्टॉर्क
पेंटेड स्टॉर्क सारस परिवार का पक्षी है। यह दक्षिण एशिया में हिमालय के दक्षिण में और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रवास करता है। यह झीलों-तालाबों में झूंड के रूप में डेरा डालता है। वाइड लाइफ फोटोग्राफर विकास स्वामी ने बताया कि बीकानेर संभाग में सारस परिवार के इस पक्षी का मुवमेंट बहुत कम रहता है। पिछले दिनों यह भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के पास एक तालाब किनारे नजर आया है। वाइड लाइफ फोटो ग्राफर राकेश शर्मा के अनुसार कुरजां भी इन दिनों लूणकरनसर, गजनेर और दरबारी झील में प्रवास पर है।
दिन में ऊंची उड़ान भर रहे शिकारी पक्षी
जोड़बिड़ में प्रवासी गिद्धों, चीलों और बाजों का डेरा है। यह सर्दी शुरू होने पर ठंडे देशों यूक्रेन, यूरेशिया, रूस आदि से यहां आ गए थे। यहां माइग्रेट होकर इन दिनों सर्दी समाप्ति के साथ वापस अपने देश लौटना शुरू हो गए है। वाइड लाइफ फोटो ग्राफर जितेन्द्र सोलंकी बताते हैं कि दोपहर 12 बजे के करीब यह शिकारी पक्षी जोड़बिड़ में आसमान में कई हजार फीट तक उड़ान भरने लग जाते हैं। इससे संकेत मिलने लग जाता है कि यह अब अपने देश वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं।