मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार, उत्तरप्रदेश सरकार की तरह जिलों, कस्बों, गांवों के नाम बदलने का अभियान सा चला रही है। बड़े जिलों, प्रमुख शहरों से लेकर कस्बों और गुमनाम गांवोें तक के नाम बदले जा रहे हैं। कई रेलवे स्टेशनों के नाम भी परिवर्तित किए जा चुके हैं।
हाल ये है कि एमपी के 3 जिलों के 68 गांवों के नाम बदले जा चुके हैं। होशंगाबाद नर्मदापुरम बन चुका है जबकि शमशाबाद को श्यामपुर और इस्माइल खेड़ी को ईश्वरपुर कहा जाने लगा है। देवास में तो सीएम डॉ. मोहन यादव ने एकमुश्त 54 गांवों के नाम बदले दिए थे।
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मुख्यमंत्री पहले भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में कस्बों, गांवों का नाम बदलने की घोषणा कर चुके हैं। सीएम की इस पहल की कांग्रेस लगातार आलोचना करती रही है लेकिन अब उनके विधायक भी इसी राह पर चल पड़े हैं।
एमपी विधानसभा में तीन दिन के अवकाश के बाद सोमवार को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस विधायक अजय सिंह ने पहचान बदलने का मामला उठाया। उन्होंने विधानसभा में रीवा शहर का नाम बदलने की मांग की। विधायक अजय सिंह ने सदन से रीवा शहर का नाम बदलकर समदड़िया करने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि रीवा शहर में इसकी पहचान बदलने के लिए हर कोई बेताब है। विधायक सिंह ने सदन से रीवा का नाम समदड़िया करने पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया।
बताया जा रहा है कि अजय सिंह सतना पॉलिटेक्निक की जमीन समदड़िया बिल्डर्स को देने से नाराज हैं। विधानसभा के पांचवें दिन सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस MLA अभय मिश्रा ने जब यह मुद्दा उठाया तो अजय सिंह बोले कि, रीवा का हरेक व्यक्ति इसका नाम बदलकर समदड़िया करने की मांग कर रहा है। उन्होंने समदड़िया समूह को रीवा में दी जा रही सुविधाओं को गलत करार दिया।
विधायक अजय सिंह कांग्रेस ने सीनियर नेता हैं और वे प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। अजय सिंह सात बार के विधायक हैं। उनके द्वारा समदड़िया समूह का मुद्दा उठाने और रीवा का नाम बदलने की मांग करने से वे चर्चा में आ गए हैं।