महाशिवरात्रि पर 60 साल बाद दुर्लभ संयोग, महाकाल में शिव-पार्वती विवाह उत्सव की धूम शुरू
क्या संदेश देती है महादेव की बारात
मानवीय रिश्तों में समर्पण का भाव- माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनका यह समर्पण और अटूट विश्वास आज के समय में रिश्तों में धैर्य, विश्वास, और प्रेम की महत्ता को दर्शाता है।बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार का ‘Mahakal Chalo’ सॉन्ग रिलीज, नए अंदाज में आए नजर
शिवजी के स्वरूप से हमें क्या शिक्षा मिलती है
भगवान शिव का स्वरूप केवल एक धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि एक गहन दार्शनिक संदेश देता है। उनका प्रत्येक रूप और प्रतीक हमें जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य सिखाता है।
- सरलता और त्याग (सादगी का महत्व)
शिक्षा – हमें दिखावे और भौतिकता से ऊपर उठकर सादगी और आंतरिक शुद्धता पर ध्यान देना चाहिए। जीवन में सादगी अपनाने से शांति और संतोष प्राप्त होता है।
- समभाव और समावेशिता (सभी के लिए समानता)
शिवजी का परिवार – उनका वाहन नंदी बैल है, उनके गले में सर्प है, बारात में भूत-प्रेत, देवता, दानव, सभी शामिल होते हैं।
शिक्षा – हमें बिना भेदभाव के सभी को स्वीकार करना चाहिए। जाति, धर्म, वर्ग या सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए। - क्रोध पर नियंत्रण और धैर्य (शांत और विनाशक दोनों रूप)
शिवजी का स्वरूप – वे शांत और ध्यान में लीन रहते हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर विनाशकारी रूप धारण कर लेते हैं, जैसे तांडव नृत्य।
शिक्षा – धैर्य रखना आवश्यक है, लेकिन अन्याय और अधर्म के खिलाफ खड़ा होना भी उतना ही जरूरी है। हमें अपने क्रोध को नियंत्रित रखते हुए सही समय पर उसका उपयोग करना आना चाहिए। - विष को स्वीकार करना (त्याग और कर्तव्य)
समुद्र मंथन में हलाहल विष पीना – जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन हुआ, तो निकले विष को किसी ने ग्रहण नहीं किया, तब शिवजी ने उसे अपने गले में धारण कर लिया और नीलकंठ कहलाए।
शिक्षा – समाज और परिवार की भलाई के लिए हमें कठिन परिस्थितियों को सहन करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए तैयार रहना चाहिए। - ध्यान और आत्मचिंतन (अध्यात्म का महत्व)
शिवजी ध्यानमग्न रहते हैं – वे कैलाश पर्वत पर समाधि में लीन रहते हैं।
शिक्षा – जीवन में आत्मचिंतन और ध्यान बहुत जरूरी है। भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान करना चाहिए।