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आपकी बात: क्या समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Jun 18, 2023 / 07:25 pm

Patrika Desk

आपकी बात: क्या समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए?

आपकी बात: क्या समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए?

कुरीतियों के उन्मूलन के लिए जरूरी

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है पर कुछ मामले जैसे शादी, तलाक, उत्तराधिकार और अन्य मामलों में सभी धर्मों के लिए अलग-अलग नियम-कानून हैं। व्याप्त कुरीतियों को दूर कर महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान देते हुए समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए।
-एस.एन. सिदार, बस्तर, छत्तीसगढ़

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शांति की होगी स्थापना

एक देश के सभी नागरिकों के लिए एक ही नागरिक संहिता होनी चाहिए और भारत जैसे देश के लिए तो इसकी सख्त आवश्यकता है क्योंकि यहां विभिन्न मजहब और धर्मों के अनुनायियों के लिए अलग-अलग नागरिक संहिता होना ही सभी रोगों की जड़ है। संसार में शायद ही ऐसा कोई देश मिले जहां विभिन्न धर्मों और मजहब के लिए अलग-अलग नागरिक संहिता हो। भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक ही नागरिक संहिता होना फायदेमंद और शांति के लिए उठाया गया कदम साबित होगा।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू

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अन्यथा कठिन होगा लोकतांत्रिक मूल्यों को संजोना

देश में समान नागरिक संहिता लागू की जानी चाहिए। गोवा राज्य से सभी राज्य प्रेरणा लेकर भेदभाव रहित वातावरण का निर्माण करें जिसमें केंद्र सरकार को इच्छाशक्ति दिखानी होगी। किसी भी दल द्वारा शासित राज्य हो, सभी इसका समर्थन करें। समानता की भावना स्थापित होने से धर्म, जातिगत भेदभाव के स्थान पर सांप्रदायिक सद्भाव कायम होगा। अन्यथा भारतीय समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों को संजोए रखना कठिन होगा।
– सी. आर. प्रजापति, हरढ़ाणी जोधपुर

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अनेक समस्याएं स्वतः होंगी हल

जब संविधान में मूल अधिकार सभी के लिए एक समान हैं तो फिर समान नागरिक संहिता का कानून बनाकर लागू करना चाहिए। तभी लोगों में भाईचारे व देशभक्ति की भावना जागृत होगी। इससे देश में दंगा-फसाद, क्षेत्रवाद जैसी अनेक समस्याओं का समाधान स्वत: हो सकता है।
-सेलेश राठौड़, बैठवास जोधपुर

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समान नागरिक संहिता के अभाव में गिरेगा जीवन स्तर

जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ती जा रही है, यदि समान नागरिक संहिता लागू‌ न की गई तो देश को बेरोजगारी, गरीबी, आवासीय, खाद्यान्न, रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा, चिकित्सा, शांति आदि अनेक क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ेगा और लोगों के जीवन स्तर में भी फर्क पड़ेगा।
– राजेश सराफ, जबलपुर, मध्य प्रदेश

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कम होगा मुकदमों का बोझ

समान नागरिक संहिता से बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण होगा, महिला उत्पीड़न पर रोक लगेगी, अदालतों पर मुकदमों का बोझ कम होगा और संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता का सही मायनों में पालन होगा।
– हुकुम सिंह पंवार, इंदौर, मध्य प्रदेश

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