सनातन हिंदू धर्म के पूजनीय भगवानों पर फूहड़ संवादों युक्त आपत्तिजनक दृश्यों पर अनदेखी क्यों? क्या सेंसर बोर्ड के सारे पदाधिकारी विदेशी हैं, जिन्हें भारत की संस्कृति व सभ्यता नहीं मालूम? इसमें मानसिक और आर्थिक भ्रष्टाचार स्पष्ट प्रतीत होता है। केंद्र सरकार वर्तमान सेंसर बोर्ड के वर्तमान प्रमुख को हटाकर किसी जिम्मेदार, संवेदनशील, समाजशास्त्री व धर्मज्ञानी को पदासीन करे अन्यथा इस विवाद के हिंसक रूप धारण कर लेने की पूरी आशंका है।
-मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
आदिपुरुष कोई पहली फिल्म नहीं है जिसे सेंसर बोर्ड ने पास किया है। इससे पहले भी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली कई फिल्में पास हुई हैं। क्रिएटिविटी की आजादी के नाम पर समाज में कुछ भी परोसा जा रहा है। इसके लिए सेंसर बोर्ड जिम्मेदार है, बोर्ड की गलती के कारण घटिया फिल्म समाज तक पहुंच कर विवाद पैदा कर रही हैं। अभी भी समय है सेंसर बोर्ड को थोड़ा गंभीर होकर फिल्में पास करने की जरूरत है।
– तरुणा साहू , राजनांदगांव , छत्तीसगढ़
फिल्म आदिपुरुष पर विवाद इसीलिए है क्योंकि इस फिल्म में भारतीय धर्म एवं संस्कृति का मजाक उड़ाया है जो कि सनातन धर्म के मूल्यों के साथ खिलवाड़ है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर, राजस्थान
जब कोई भी फिल्म बनाई जाती है उसमें बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय के देवी-देवताओं का गलत चित्रण क्यों किया जाता है? इस संबंध में फिल्म निर्माता से लेकर स्टारकास्ट सब जिम्मेदार हैं। उन्हें भी तो श्रीराम व रावण के व्यक्तित्व के बारे में पता है, फिर वे कैसे गलत डायलॉग बोलते हैं। सबसे बड़ा प्रश्नचिह्न तो सेंसर बोर्ड में बैठे लोगों पर लगता है, क्या वे बिना स्क्रिप्ट देखे बिना दृश्य देखे उसे पास कर देते हैं, यदि ऐसा है तो ऐसे बोर्ड का क्या औचित्य, जब सेंसर बोर्ड का काम भी न्यायालय को करना है!
-राजकुमार बवेजा, हनुमानगढ़, राजस्थान
आदिपुरुष का विरोध काफी तेजी से हो रहा है। जगह-जगह से फिल्म को लेकर विवाद रफ्तार पकड़ रहा है। नेता से लेकर अभिनेता फिल्म का विरोध कर रहे हैं। जनता आक्रोश में है। जब हर फिल्म सेंसर बोर्ड से पास होती है और वहां हर बात को जांच-परख कर फिल्म को प्रमाणपत्र दिए जाने की अपेक्षा की जाती है तो इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने आखिर कैसे पास किया? सेंसर बोर्ड अपना काम कर भी रहा है? सेंसर बोर्ड को ऐसी फिल्में प्रमाणित नहीं करनी चाहिए जो इतिहास को बिगाड़ने का काम करती हैं।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर, राजस्थान
सेंसर बोर्ड हमेशा लोगों की कड़ी और तीव्र प्रतिक्रिया को देखकर ही सक्रिय होता है। आदिपुरुष फिल्म में हिंदू देवी-देवताओं का ऐसा रूप दिखाया गया है जो भारत में अस्वीकार्य है। बहुत अच्छा होता, अगर इस फिल्म में आवश्यक सुधार बहुत पहले कर दिए जाते।
– डॉ. माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, राजस्थान