रेगिस्तान, संस्कृति और शिल्प—पर्यटन की संभावना अपार
पोकरण क्षेत्र के गांवों में फैले रेतीले धोरे, मिट्टी कला, पारंपरिक कशीदाकारी, लोक संस्कृति और ग्रामीण जीवन विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। लेकिन अब तक न तो विभाग ने प्रचार किया और न ही ग्रामीणों को इससे जोडऩे की कोई गंभीर कोशिश की।….तो बदल सकेगी तस्वीर
पर्यटन विशेषज्ञ पुष्पेंद्र व्यास के अनुसार वर्तमान में जो पर्यटक पोकरण होते हुए जैसलमेर पहुंचते हैं, वे गांवों में बसती लोक संस्कृति से अनजान ही रह जाते हैं। यदि गांवों को योजना से जोड़ा जाए और स्थानीय लोग इसके लिए पंजीयन करवाएं, तो पर्यटन की एक नई धारा शुरू हो सकती है। इससे न केवल क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी, बल्कि ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा।फैक्ट फाइल
110 किमी दूर है पोकरण, जैसलमेर मुख्यालय से9598 वर्गकिमी में फैला है पोकरण क्षेत्र 2022 में शुरू हुई थी योजना