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जैसलमेर

काम पूरा, अब मन में गांव और आंखों में अपनों की तस्वीर

जैसलमेर जिले में रबी फसलों की कटाई पूरी होने के साथ ही अब प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है।

जैसलमेरApr 07, 2025 / 09:05 pm

Deepak Vyas

jsm
जैसलमेर जिले में रबी फसलों की कटाई पूरी होने के साथ ही अब प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हो गया है। मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हजारों श्रमिक रामदेवरा पहुंच रहे हैं, जहां बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन कर वे ट्रेन व अन्य माध्यमों से अपने गांव लौट रहे हैं। इन दिनों रामदेवरा रेलवे स्टेशन, बाजार और चौराहों पर श्रमिकों की भारी भीड़ नजर आ रही है। दिसंबर महीने में किसानों की ओर से मध्यप्रदेश के जिलों से श्रमिकों को खेतों में कटाई के लिए बुलाया गया था। जनवरी-फरवरी में इन श्रमिकों ने नोख, मोहनगढ़, नाचना और आसपास के क्षेत्रों में सरसों, चना, इसबगोल और जीरा जैसी फसलों की कटाई की। अब फसल कार्य पूरा हो चुका है, जिससे करीब 50 हजार श्रमिक दो महीने की मेहनत के बाद अपने घरों को लौट रहे हैं।

मुंहमांगे दाम, फिर भी मजदूरों की कमी

कृषि कार्यों में मजदूरों की कमी अब बड़ी चुनौती बन चुकी है। खेतों की बुवाई से लेकर निराई-गुड़ाई और कटाई तक, किसानों को मजदूरों की तलाश में मशक्कत करनी पड़ती है। उन्हें अब मुंहमांगे दाम देने पड़ रहे हैं। कटाई के लिए आने वाले प्रवासी श्रमिकों को रोजाना 700 से 800 रुपए तक मजदूरी दी जाती है, साथ ही रहन-सहन की पूरी व्यवस्था भी की जाती है।

रामदेवरा बना अस्थायी पड़ाव

प्रवासी श्रमिकों के लिए रामदेवरा केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि उनका अस्थायी पड़ाव भी बन गया है। हर साल फसल कटाई के मौसम में हजारों श्रमिक रामदेवरा से जिले के अलग-अलग गांवों में पहुंचते हैं और कटाई पूरी होने के बाद यहीं से घर लौटते हैं। बाबा रामदेव के दर्शन करना उनके लिए आस्था और यात्रा दोनों का हिस्सा होता है।

स्टेशन से ट्रेनों में उमड़ी भीड़

रामदेवरा रेलवे स्टेशन पर इन दिनों प्रवासी श्रमिकों की भारी भीड़ देखी जा रही है। जोधपुर की ओर जाने वाली सभी ट्रेनें फुल जा रही हैं। वहीं बस स्टेण्ड और अन्य यात्री वाहन स्टैंड भी खचाखच भरे हैं। स्थानीय बाजारों में भी श्रमिकों की उपस्थिति से रौनक दिखाई दे रही है। उज्जैन निवासी कन्हैयालाल बताते हैं कि हर साल रामदेवरा आते हैं। इस बार दो महीने तक सरसों की कटाई की। खेत मालिक ने अच्छे से खाना-पानी और मजदूरी दी। अब बाबा रामदेव के दर्शन करके घर लौट रहे हैं। शाजापुर निवासी सीताबाई का कहना है किपहली बार रामदेवरा आई हूं। महिलाओं के लिए काम करना आसान नहीं होता, लेकिन यहां खेतों में अच्छा माहौल मिला। रोज़ 750 रुपयए मिलते थे, अब बच्चों के लिए कपड़े और मिठाई लेकर जा रही हूं।

फैक्ट फाइल

– 50,000 से अधिक प्रवासी श्रमिक हर साल रामदेवरा क्षेत्र में पहुंचते हैं- 2 माह तक करते हैं खेतों में फसल कटाई

– 700-800 रु. प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है

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