Patrika Mahila Suraksha: क्या है पैनिक बटन
किसी भी यात्र बस में पैनिक बटन नहीं मिला। बस के एक किनारे में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित लिखा हुआ था। महिलाओं के लिए आरक्षित इसी सीट में पुरूष यात्री बैठे मिले।
महिला यात्रियों ने बताया कि भीड़ अधिक होने पर उन्हें खडे़-खड़े यात्रा करनी पड़ती है।
महिला यात्री सुमन पटेल ने कहा कि यात्री बसों में जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन अनिवार्य करें तो महिलाओं को राहत मिलेगी। कई बार रात में सफर करने वाली
महिलाओं को कहीं भी उतार दिया जाता है। अनहोनी की संभावना रहती है। बस स्टैंड में चौकी खुलनी चाहिए।
हो सरप्राइज चेकिंग… तो मिलेगी राहत
जिले में धमतरी से रायपुर रूट में प्रतिदिन 150 से अधिक बसों चलती है। इसी धमतरी से नगरी और धमतरी से जगदलपुर के लिए प्रतिदिन 120 बसें सड़कों पर फर्राटे लगाती है।
पत्रिका संवाददाता ने जब एक प्राइवेट बस के चालक से पैनिक बटन के संबंध में पूछा तो वह जवाब नहीं दे पाया। अधिकांश यात्रियों को भी जीपीएस सिस्टम और पैनिक बटन के संबंध में जानकारी नहीं है। ऐसे में महिला यात्रियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है।
महिला यात्री सरोज बाई ने बताया कि बसों में अक्सर हिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती। पुलिस को समय-समय पर यात्री बसों की सरप्राइज चेकिंग करनी चाहिए। इससे काफी हद तक राहत मिलेगी।
महिला यात्री प्रमिला ध्रुव ने कहा कि यात्री बसों में
महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित हैं, लेकिन इसका लाभ महिला यात्रियों को नहीं मिल पाता। आरटीओ विभाग को बसों का जायजा लेकर इन नियमों का पालन कराना चाहिए।
गृहिणी हीरा धीवर ने कहा कि कार्यस्थल हो या सार्वजनिक स्थल हो महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर जागरूक होने की जरूरत है। कानून व्यवस्था में भी सुधार की जरूरत है। महिलाओं से संबंधित शिकायतों पर पुलिस को भी तत्काल एक्शन लेने की जरूरत है।