दोपहर तीन बजे आतिशबाजी व गुलाल-अबीर के साथ शहरवासियों के मनोरंजन के लिए शवयात्रा निकाली गई। इसमें पांच ढोल, दो घोड़े साथ चल रहे थे। मुर्दे के साथ चल रहे युवाओं को रंगों से सराबोर करने के लिए टेंपो में रखे 100 से अधिक कट्टों में भरी गुलाल रास्ते में उड़ाई जा रही थी। इससे सड़कें गुलाल से सरोबार हो गई। टेंपो में इलाजी का पुतला लोगों के लिए आकर्षण रहा।शव यात्रा में शामिल युवा ढोल की थाप पर नाचते-गाते एक-दूसरे को गुलाल लगाते रहे थे। वहीं बुजुर्ग हंसी-ठिठोली कर लोगों का मनोरंजन कर रहे थे। कुछ युवा सनेती के आगे हांडी लेकर विलाप कर रहे लोगों को ढांढ़स बंधाते चल रहे थे। शवयात्रा में शामिल लोगों के साथ ही इसे देखने वाली भीड़ भी रंगो से ओतप्रोत थी। शवयात्रा स्टेशन चौराहा, गोलप्याऊ चौराहा, गुलमंडी, सर्राफा बजार होते हुए पुराना भीलवाड़ा पहुंची। यहां सनेती पर सोया व्यक्ति उठकर भाग गया। लोगों ने सनेती को जला दी।