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भीलवाड़ा

Bhilwara news : शीतला सप्तमी की रौनक बाजार में चमकी

रंग व पिचकारियों की दुकानों पर भीड़, जमकर हुई खरीदारी

भीलवाड़ाMar 19, 2025 / 09:19 pm

Suresh Jain

The splendor of Sheetla Saptami shines in the market

The splendor of Sheetla Saptami shines in the market

Bhilwara news : शीतला सप्तमी को लेकर बाजारों में रौनक परवान चढ़ गई है। स्टेशन रोड, आजाद चौक, शाम की सब्जी मंडी समेत शहर के प्रमुख बाजारों में बुधवार को भीड़ रही। पर्व को लेकर मिठाई एवं नमकीन की दुकानों पर भी अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जा रहे है। रंग व पिचकारी की दुकानों पर भी सौ से अधिक आइटम है। शहर की कॉलोनियों में भी रंगों व पिचकारियों की दुकानें सज गई है।
पापड़, चिप्स व नमकीन की मांग

रांदा पोआ की सामग्री खरीदने के लिए शहर के मुख्य बाजारों में दुकानों व स्टालों पर व्यंजनों के ढेरों आइटम सजे हुए है। लोग पापड़, चिप्स सहित अन्य तलीय कच्ची सामग्री खरीद रहे हैं। शहर के आजाद चौक सहित बाजारों में कई जगह सड़कों पर खरीदारी के लिए भीड़ देखी जा रही है। रंग, गुलाल व पिचकारी की दुकानों पर भी इस बार ढेरों नए आइटम है।
रंग व पिचकारी की दुकानों पर भीड़

तलीय सामग्री के अलावा शीतला सप्तमी को रंग खेलने की परम्परा के तहत भीलवाड़ा में रंग व गुलाल के साथ ही पिचकारी, गुब्बारों व अन्य खाद्य वस्तुओं की खरीदारी भी जोरों पर है। नमकीन की दुकानों पर भी कई प्रकार की नमकीन है।
आज बनेगा रांदा पोआ

पंडित अशोक व्यास ने बताया कि रांदा पोआ गुरुवार 20 मार्च को होगा। शीतला सप्तमी 21 मार्च को होगी। महिलाएं शीतला माता की पूजा कर परिवार व घर में सुख-समृद्धि की कामना करेगी। उधर, पुराने भीलवाड़ा स्थित शीतला माता के मंदिर को रंग रोगन करके व रंगीन लाइटों से सजाया गया है। यहां 20 मार्च की मध्य रात्रि के बाद से ही महिलाएं पूजा करने आने शुरू होती है जो सुबह 10 बजे तक लंबी कतार लगी रहती है। शीतला सप्तमी को शीतला सप्तमी, शीतला अष्टमी, ठंडा-बासी, बास्योड़ा और कई नामों से जाना जाता है। इस अनूठे त्योहार के दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
800 साल पुराना है मंदिर

शीतला माता की पूजा पुराने भीलवाड़ा के शीतला माता मंदिर में होगी। मंदिर को 800 साल पहले उदयपुर के तत्कालीन महाराणा ने बनवाया था। मंदिर के पुजारी विश्वनाथ पाराशर ने बताया कि महाराणा भोपालसिंह के दादा ने राजस्थान के हर जिले में मंदिर बनवाए। इस मंदिर की सेवा पहले लाला परिवार करते आ रहे थे लेकिन पांच पीढियों से उनका परिवार सेवा कर रहा है। शीतला सप्तमी पर मंदिर में चढऩे वाली सामग्री का अधिकार कुम्हारों का होता है। यह वर्षो पुरानी परम्परा है।

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