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मैड़ कुण्डला के मटर का कई प्रदेशों में चख रहे स्वाद, 60 करोड़ का हर साल हो रहा उत्पादन

सरकारी प्रोत्साहन का इंतजार: बगरू के बाद मैड़ कुण्डला में होती है सर्वाधिक खेती

बस्सीMar 01, 2025 / 04:48 pm

vinod sharma

Shahpura maid peas are being tast in many states

सरकारी प्रोत्साहन का इंतजार: बगरू के बाद मैड़ कुण्डला में होती है मटर की सर्वाधिक खेती

बलुई दोमट मिट्टी की तासीर के साथ मीठे पानी के चलते शाहपुरा के मैड़ कुण्डला क्षेत्र में प्रतिवर्ष मटर की बम्पर पैदावार होती है। मिठास के चलते यहां के मटर की दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, मुम्बई में भी मांग है। बम्पर पैदावार ने यहां के किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुधारा है। मैड़ कुण्डला क्षेत्र में सीजन में करीब 60 करोड़ का मटर का उत्पादन होता है, लेकिन यहां के किसानों को सरकारी प्रोत्साहन व सुविधाओं का आज भी इंतजार है। यदि सरकारी या निजी स्तर पर मटर प्रिजर्व करने के लिए कोई यूनिट स्थापित हो तो किसानों को भी फायदा मिले और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। मैड़ कुण्डला क्षेत्र की 10 ग्राम पंचायत मैड़, नवरंगपुरा, पालड़ी, पुरावाला, आमलोदा, भामोद, जोधूला, तालवा, तेवड़ी, बडोदिया के गांव ढाणियों में लंबे अरसे से किसान मटर की खेती करते आ रहे हैं। बगरू के बाद मैड़ कुण्डला में ही मटर की सर्वाधिक खेती होती है।
प्रति हैक्टेयर में 50 से 60 क्विंटल उत्पादन
मैड़ कुण्डला क्षेत्र में 700 हैक्टेयर जमीन में मटर खेती की गई है। मिट्टी की गुणवत्ता अच्छी होने से पैदावार भी बम्पर होती है। जिसके चलते प्रति हैक्टेयर 50 से 60 क्विंटल तक मटर की पैदावार हो जाती है। वर्तमान में 15 से 20 रुपए किलो का भाव चल रहा है।
बगरू के बाद मैड़ कुण्डला में होती है मटर की सर्वाधिक खेती

रोजाना बिक रहा 50 लाख से अधिक का मटर
मैड़ में अस्थाई सब्जी मंडी, पालड़ी तिराहा पर खुले में ही कांटा लगाकर व्यापारी किसानों का माल खरीदते हैं। इसके अलावा अन्य व्यापारियों द्वारा मटर की खरीद की जा रही है। अस्थाई मंडी में मैड़, जोधूला, राड़ावास, सताना, भोजेरा, तालवा, पालड़ी, हरीकिशनपुरा, नवरंगपुरा, बलेसर, बडोदिया सहित कई ढाणियों व दूरदराज के गांव से भी किसान ट्रैक्टर, पिकअप, लोडिंग टैम्पो सहित अन्य वाहनों से बोरियों में भरकर मटर बेचने आते हैं। वर्तमान में रोजाना 150 टन तक मटर की आवक हो रही है। यहां प्रतिदिन करीब 50 लाख का मटर बिक रहा है।
सुविधाओं को मोहताज
किसानों ने बताया कि सरकार ने यहां पर कृषि उपज मंडी तो बना दी, लेकिन चालू नहीं हो पाई। जिसके चलते किसानों को उपज खुले में लगने वाली अस्थाई मंडियों में ही बेचनी पड़ रहा है। जिससे सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
इनका कहना है…
कुण्डला क्षेत्र में मिट्टी की गुणवत्ता व मीठा पानी होने से मटर की बम्पर पैदावार होती है। यहां पर मटर का सीजन मार्च तक चलता है।
अनिल बंसल, सहायक कृषि अधिकारी, मैड़

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