बुधवार को तिरुवल्लूर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्टालिन ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा नीति नहीं बल्कि भगवाकरण नीति है। यह नीति भारत के विकास के लिए नहीं, बल्कि हिंदी के विकास के लिए बनाई गई है। हम इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से बर्बाद कर देगी।
तमिलनाडु को एनईपी स्वीकारने के लिए मजबूर करने का आरोप
सीएम स्टालिन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह तमिलनाडु को एनईपी स्वीकार करने के लिए मजबूर करने के लिए राज्य के लिए वित्तीय सहायता रोक रही है। उन्होंने कहा, हम आपसे हमारे कर में हिस्सेदारी मांग रहे हैं, जिसे हमने अपनी मेहनत से अर्जित किया है। इसमें क्या समस्या है? क्या 43 लाख स्कूलों के कल्याण के लिए फंड रोकना उचित है? चूंकि हमने एनईपी को स्वीकार नहीं किया, इसलिए केंद्र सरकार हमारे लिए धन जारी करने से इनकार कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर एनईपी सभी को शिक्षा के दायरे में लाती, तो उनकी सरकार इसका स्वागत करती। लेकिन, उन्होंने तर्क दिया कि इस नीति में ऐसे प्रावधान हैं जो छात्रों को शिक्षा से दूर करते हैं और इसलिए तमिलनाडु सरकार इसका विरोध कर रही है।
हिंदी थोपने की आशंका और भाषाई विविधता पर खतरा
एनईपी के सबसे विवादास्पद बिंदुओं में से एक तीन-भाषा फॉर्मूला है, जिससे तमिलनाडु को डर है कि यह राज्य पर हिंदी थोप देगा। स्टालिन ने कहा कि यह नीति क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी को प्राथमिकता देती है, जिससे राज्य की स्वायत्तता और भाषाई विविधता को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु ने ऐतिहासिक रूप से दो-भाषा नीति (तमिल और अंग्रेजी) अपनाई है और वह इस पर कायम रहेगा। “हमारे राज्य में हिंदी लागू करने की कोई जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार को यह समझना चाहिए कि भाषाई विविधता भारत की पहचान है और जबरन हिंदी थोपने से राज्यों की स्वायत्तता प्रभावित होगी।”
तमिलनाडु की सफलता से केंद्र सरकार को जलन: स्टालिन
सीएम स्टालिन ने केंद्र सरकार पर तमिलनाडु की सफलता से जलन रखने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब कोई राज्य सरकार अच्छा काम करती है और देश के लिए उदाहरण पेश करती है, तो केंद्र सरकार को उसे समर्थन देना चाहिए। उन्होंने कहा, लेकिन क्या यह केंद्र सरकार ऐसा कर रही है? नहीं। उन्हें जलन हो रही है कि तमिलनाडु अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। उन्हें चिढ़ है कि डीएमके तमिलनाडु की सुरक्षा कर रही है। इसलिए वे हर संभव तरीके से बाधाएं पैदा कर रहे हैं और हमें नीचा दिखाने का प्रयास कर रहे हैं।
मोदी सरकार पर संघीय ढांचे को नष्ट करने का आरोप
स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाने पर लिया और कहा कि जब मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया था, तब उन्होंने कहा था कि दिल्ली से पूरे भारत के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी और राज्यों के साथ सहयोग किया जाएगा। उन्होंने सवाल किया, मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि पिछले 10 वर्षों में क्या आपने कभी इस वादे को निभाया? आप और आपके मंत्री इसके ठीक विपरीत कर रहे हैं। यह संघीय ढांचे और राज्यों के अधिकारों को खत्म करने जैसा है।