शिकायतें बढ़ीं, प्रशासन पर दबाव
जनसुनवाई में बड़ी संख्या में आदिवासी परिवार पहुंचे और अपनी जमीनों पर अवैध कब्जे की शिकायतें दर्ज कराईं। ईसागढ़ के कुलवार गांव के छोटेलाल आदिवासी के मामले में हाईकोर्ट ने आदिवासी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को गंभीर माना और कलेक्टर को कार्रवाई के निर्देश दिए। फर्जीवाड़े से हथियाई जमीनें
टकनेरी निवासी भग्गोबाई ने बताया कि कुछ भू-माफियाओं ने पीएम आवास योजना का लालच देकर उनसे अंगूठा लगवा लिया और उनकी जमीन की रजिस्ट्री करवा ली। बाद में जब जमीन पर कब्जा करने पहुंचे, तब जाकर उन्हें ठगी का एहसास हुआ। पिपरई तहसील के गरेठी चक्क गांव में भी ऐसा ही मामला सामने आया। यहां आदिवासी भुजबल की 0.500 हेक्टेयर जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया गया। ग्रामीणों ने प्रशासन से सीमांकन कराकर जमीन वापस दिलाने की मांग की है।
कीमत बढ़ी तो जमीन हड़प ली
टकनेरी की ही इंदरबाई ने शिकायत की कि उनकी पुश्तैनी जमीन बेशकीमती हो चुकी है, इसलिए भू-माफियाओं ने उसे अवैध तरीके से अपने नाम करा लिया। कोलुआ गांव के खिलनसिंह की पट्टे की जमीन का अब तक कंप्यूटर रिकॉर्ड में अमल नहीं हुआ, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
जांच हो तो खुलेंगे सैकड़ों मामले
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आदिवासी जमीनों की व्यापक जांच कराई जाए तो ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ सकते हैं। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद प्रशासन पर सख्त कार्रवाई का दबाव है, लेकिन देखना होगा कि पीड़ितों को न्याय कब तक मिलता है।