scriptASI के पूर्व एरिया निदेशक के.के. मोहम्मद ने कहा- ‘..तो सीरिया और अफगानिस्तान बन जाएगा भारत’ | Former area director of ASI K K Mohammed said- then India will become Syria Afghanistan know why | Patrika News
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ASI के पूर्व एरिया निदेशक के.के. मोहम्मद ने कहा- ‘..तो सीरिया और अफगानिस्तान बन जाएगा भारत’

K K Mohammed Interview: देशवासियों को मंदिर-मस्जिद जैसे विवादों में कतई नहीं पड़ना चाहिए, वरना देश सीरिया या अफगानिस्तान बन जाएगा

उज्जैनMar 10, 2025 / 03:18 pm

Sanjana Kumar

KK Mohammed Interview

KK Mohammed Interview

K K Mohammed Interview: केके मोहमद, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएआइ) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक रह चुके हैं, अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर की गई खुदाई की जांच प्रोजेक्ट में शामिल थे। उन्होंने अपने शोध और अनुभव के आधार पर पहले भी कहा था कि बाबरी मस्जिद के नीचे एक मंदिर के अवशेष मौजूद थे। पत्रिका से विशेष चर्चा (Exclusive Interview) में उन्होंने कहा कि देशवासियों को मंदिर-मस्जिद जैसे विवादों में कतई नहीं पड़ना चाहिए, वरना देश सीरिया या अफगानिस्तान बन जाएगा, इसका आशय यह है कि वे धार्मिक विवादों को समाप्त कर देश में शांति, सौहार्द्र और विकास को प्राथमिकता देने की वकालत कर रहे हैं।
धार्मिक संघर्षों से देश को नुकसान होता है, जैसे कि सीरिया और अफगानिस्तान में हुआ, जहां धार्मिक और सांप्रदायिक हिंसा ने सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर दिया। भारत को अपने बहुलतावाद और सहिष्णुता की परंपरा को बनाए रखना चाहिए, जिससे सामाजिक स्थिरता बनी रहे। मंदिर और मस्जिद के मुद्दे को ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए, न कि राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हिंदू और मुस्लिम समुदायों को मिलकर आगे बढ़ना चाहिए और आपसी सौहार्द बनाए रखना चाहिए, ताकि देश का विकास बाधित न हो। केके मोहमद पहले भी इस विवाद पर तथ्यात्मक और संतुलित दृष्टिकोण रखते रहे हैं।

अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे जो पिलर थे, उनमें कलश रूपी आकृतियां थीं

उन्होंने अपनी किताब नरसिंहराव और बाबरी मस्जिद: एक पुरातत्वविद का दृष्टिकोण’’ में इस मुद्दे पर विस्तार से लिखा भी है। उन्होंने कहा – अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे जो पिलर थे, उनमें कलश रूपी आकृतियां बनी हुई थीं। यही एक प्रमाण हमें हिंदू मंदिर होने के लिए संकेत कर रहा था। 1976-77 में प्रो. बीबी लाल, जो पद्मश्री, पद्मभूषण हैं, के अंडर में हमारी टीम ने राम मंदिर प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। उस समय मस्जिद के ऊपरी और भीतरी तह तक का परीक्षण किया। हमने देखा कि मस्जिद के जितने पिलर यानी बेस थे, उनकी बनावट देखकर ही समझ में आ गया कि ये मंदिर के हैं, मस्जिद के नहीं। क्योंकि उनमें पूर्ण कलश स्थापित किए हुए थे। ये देखने के बाद खुदाई कार्य शुरू किए। प्रो. लाल जो नेतृत्व कर रहे थे, इस नतीजे पर पहुंचे कि ये मस्जिद नहीं, बल्कि मंदिर का हिस्सा है। लेकिन उस समय इसे सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं किया, क्योंकि विवाद हो सकता था।

विक्रमोत्सव में आज होंगे मुय अतिथि

विक्रमोत्सव के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय इतिहास सामगम का शुभारंभ सोमवार सुबह 10.30 बजे पं. सूर्यनारायण व्यास संकुल, कालिदास अकादमी में होगा। इस समागम में अमेरिका से शोध अध्येता डॉ. श्रैयाहरि तथा नेपाल के राष्ट्रपति के संस्कृति सलाहकार डॉ. लक्ष्मण पंथी शामिल होंगे। उद्घाटन कार्यक्रम के मुय वक्ता अभा इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुंद पांडे होंगे। मुख्य अतिथि भारतीय पुरातत्वविद पद्मश्री केके मोहमद तथा सारस्वत अतिथि के रूप में महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित उपस्थित रहेंगे। तीन दिवसीय इस समागम में भारतीय इतिहास को लेकर गंभीर विचार विमर्श होगा। कार्यक्रम पांच सत्रों में बांटा गया है।

मथुरा और ज्ञानवापी मस्जिद हिंदुओं को सौंपे दें

खुदाई से एक मंदिर की नींव का पता चला, जिसमें अष्टमंगला प्रतीकवाद में व्यवस्थित 12 स्तंभ थे।

मनुष्यों और जानवरों की टेराकोटा आकृतियों ने पहले से मौजूद मंदिर के अस्तित्व की परिकल्पना करने के लिए हमें प्रेरित किया।
आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद हम इस प्रोजेक्ट के लिए डटे रहे।

मुसलमानों को मथुरा और ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान को खुद ही हिंदुओं को उपहार की तरह सौंप देना चाहिए। उनकी जो पवित्र इमारत है, उसे कहीं अन्य उपयुक्त स्थल पर स्थानांतरित करने के लिए मुसलमानों को आगे आना चाहिए। इससे सरकार एवं सर्व समाज से भी सहयोग मिल सकेगा। इस स्थानांतरण की प्रक्रिया में पवित्रता एवं समान का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।

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