उन्होंने मीडिया को बताया कि वे परिवार की पहली सदस्य हैं, जो सिविल सेवा में जुड़ी हैं। इसमें पूरे परिवार का पूरा सहयोग था। विशेष रूप से पापा के सहयोग के चलते यह सफलता मिली है। मेरी मां नहीं हैं। उन्होंने मेरे छोटे भाई और घर को संभाला और मुझे पढ़ने के लिए पूरी छूट, सहयोग दिया। उन्होने कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनकी देश में दूसरी रैंक आई है।
महिलाओं की जिंदगी को बेहतर बनाना प्राथमिकता रहेगी
पहले से ही आईएएस अधिकारी बनने की चाहत थी। रैंक भी ऐसी आई है। ऐसे में आईएएस अधिकारी बनने के बाद महिलाओं की जिंदगी को बेहतर बनाना प्राथमिकता रहेगी। झुग्गी में रहने वाले बच्चों की शिक्षा पर काम करना चाहूंगी। हरियाणा में जन्मी और वडोदरा में पली पढ़ी हर्षिता ने वडोदरा के एमएस यूनिवर्सिटी से बी कॉम किया। वे मूलरूप से राजस्थान के चूरू जिले के सादुलपुर (राजगढ़) की रहने वाली हैं। उनके पिता गोविंद गोयल हैं।
करियर में गुजरात का अहम योगदान
चार्टर्ड एकाउंटेंट हर्षिता के करियर में गुजरात का अहम योगदान है। परीक्षा में उन्होंने ऑप्शनल विषय के रूप में राजनीति शास्त्र और इंटरनेशनल रिलेशन रखा। सिविल सेवा में हाथ आजमाने से पहले वे गुजरात यूथ पार्लियामेंट में हिस्सा ले चुकी हैं। वे एनजीओ बिलिव फाउंडेशन के साथ काम कर चुकी हैं जो थैलेसीमिया और कैंसर मरीजों के लिए काम करते हैं। वे एक्रीलिक पेंटिंग का भी शौक रखती हैं।