लश्कर-ए-तैयबा ने ली हमले की जिम्मेदारी
हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली है। इस हमले के बाद सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया है और सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से टेलीफोन पर बात कर हालात की जानकारी ली। गृहमंत्री शाह स्थिति की समीक्षा के लिए जल्द ही जम्मू-कश्मीर पहुंच सकते हैं।पर्यटकों को पहले भी बनाया जा चुका है निशाना
यह कोई पहला मौका नहीं है जब जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को आतंक का निशाना बनाया गया हो। राज्य में पिछले तीन दशकों से आतंकवाद की लहर ने कई बार निर्दोष पर्यटकों, श्रद्धालुओं और स्थानीय नागरिकों की जान ली है। आइए नजर डालते हैं ऐसे कुछ बड़े आतंकी हमलों पर जिनमें पर्यटक या तीर्थयात्री निशाना बने:जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों पर हुए प्रमुख आतंकी हमले
18 मई 2024: श्रीनगर में आतंकियों ने राजस्थान के जयपुर से आए एक दंपति को फायरिंग में घायल कर दिया। यह हमला श्रीनगर के डलगेट इलाके में हुआ था।पहलगाम आतंकी हमला: 27 निर्दोषों की हत्या से लोगों में गुस्सा, अमित शाह पहुंचे कश्मीर
9 जून 2024: रियासी जिले में तीर्थयात्रियों से भरी एक बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। इस हमले में 9 लोगों की मौत और 33 घायल हुए थे। इस हमले को भी लश्कर से जुड़े आतंकी समूह ने अंजाम दिया था।
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4 जुलाई 1995: पहलगाम के लिद्दरवाट क्षेत्र में आतंकी संगठन हरकत-उल-अंसार ने छह विदेशी पर्यटकों और दो गाइड्स का अपहरण किया। अगवा किए गए लोग अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे और जर्मनी के नागरिक थे। आतंकियों ने बाद में एक पर्यटक की हत्या कर दी थी।
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1-2 अगस्त 2000: कश्मीर घाटी के अनंतनाग और डोडा जिले में आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं को निशाना बनाया। इन हमलों में 100 से अधिक लोगों की जान गई। विशेष रूप से पहलगाम के नुनवान बेस कैंप पर हुए हमले में 21 तीर्थयात्रियों, 7 स्थानीय दुकानदारों और 3 सुरक्षा कर्मियों की हत्या की गई थी।
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इन घटनाओं से साफ है कि आतंकियों का मकसद घाटी में पर्यटन और धार्मिक गतिविधियों को बाधित करना है। इससे न सिर्फ आर्थिक नुकसान होता है बल्कि जम्मू-कश्मीर की छवि पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। हालिया हमले के बाद केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह एक चेतावनी है कि घाटी में पर्यटकों और यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है। साथ ही, यह समय है कि आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए और कड़े कदम उठाए जाएं।