Varanasi News:
वाराणसी में आयोजित स्वास्थ्य कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए स्वामी राज विभु ने कहा कि योग के आठ अंगों में प्राणायाम का स्थान चौथे नंबर पर आता है। प्राणायाम को आयुर्वेद में मन मस्तिष्क और शरीर की औषधि माना गया है। उन्होंने कहा कि बायु को मन का नियंता माना गया है। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहां कि काया में उत्पन्न होने वाली वायु के
आयाम अर्थात निरोध करने को प्राणायाम कहते हैं।
क्या है कुंभक
स्वामी राज विभु ने बताया कि प्राणायाम करते समय तीन क्रियाएं करते हैं। पूरक, कुंभक, रेचक, उन्होंने कहा कि पूरक अर्थात नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। कहा कि अंदर हुई श्वास कुछ क्षमता के अनुसार रोक कर रखने की क्रिया को कुंभक कहते हैं।
आयुर्वेद पद्धति और कुंभक से आप हमेशा स्वस्थ रह सकते
कुंभक योगी स्वामी राजविभु ने कहा कि मनुष्य स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से चिंता में रहते हैं। स्वामी ने बताया कि ईश्वर ने हमें शरीर वरदान के रूप में दिया है। लेकिन हम उसमें केमिकल डालकर खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी महंगी गाड़ियों में डीजल की जगह पेट्रोल नहीं डालते हैं। ताकि इंजन खराब ना हो जाए। लेकिन शरीर में हम सभी प्रकार के केमिकल दवाई के रूप में लेते हैं। वह हमें ठीक करने के बजाय रोग दे जाती है। स्वामी राज विभु ने अपने कार्यक्रम के माध्यम से लोगों से कहा कि आयुर्वेद पद्धति और कुंभक ही आपको स्वस्थ रख सकता है।
आयुर्वेद और कुंभक ने जीवन बदल दिया
कार्यक्रम में स्वामी राजविभु ने कुंभक थेरेपी की कुछ नई विधियां लोगों को बताई। इस विधि से आप अपने को कैसे स्वस्थ रख सकते हैं। विभिन्न रोगों के विषय में विधिवत जानकारी देते हुए उसे ठीक करने के उपाय बताया। वहां पहुंचे तमाम मरीज ने भी कुंभक और आयुर्वेद पद्धति की सराहना किया। कुछ लोगों ने यहां तक कहा कि जब से हमने आयुर्वेद पर भरोसा जताया है, और कुंभक शुरू किया है। तब से हमारा जीवन बदल गया है।