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सीकर

आशियाने की उम्मीदें निजी कॉलोनाइजर्स के भरोसे, 13 साल में यूआइटी नहीं बसा सकी एक भी कॉलोनी

प्रदेश की राजधानी जयपुर की सेटेलाइट सिटी के तौर पर आगे बढ़ते शिक्षानगरी में यूआइटी की लापरवाही आमजन की मुसीबत बढ़ा रही है।

सीकरApr 20, 2025 / 12:59 pm

Ajay

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सीकर.

प्रदेश की राजधानी जयपुर की सेटेलाइट सिटी के तौर पर आगे बढ़ते शिक्षानगरी में यूआइटी की लापरवाही आमजन की मुसीबत बढ़ा रही है। यूआइटी की ओर से पिछले 13 साल से आवासीय कॉलोनी बसाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन अभी तक एक भी कॉलोनी यूआइटी की ओर से शहर में नहीं बसाई जा सकी है। ऐसे में मजबूरन शिक्षानगरी के लोगों को आशियाने की उम्मीदें पूरा करने के लिए निजी कॉलोनाइजर्स के भरोसे रहना पड़ रहा है। इससे आमजन की जेब ढ़ीली होने के साथ सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। रोचक बात यह है कि यूआइटी के पास कई जोन में जमीन भी है जहां आवासीय व व्यावसायिक योजनाएं शुरू की जा सकती है।
ऐसे समझें जनता का दर्द…..

केस एक: चार साल इंतजार, फिर निजी कॉलोनी में लिया आशियाना

झुंझुनूं निवासी हितेन्द्र सहारण ने बताया कि यूआइटी की ओर से गोविन्द नगर आवासीय योजना के कई साल तक दावे किए जा रहे रहे। इस वजह से चार साल तक इंतजार करते रहे। इसके बाद भी कॉलोनी धरातल पर नहीं आई तो फिर निजी कॉलोनी में जमीन लेकर आशियाने का सपना पूरा किया।

केस दो: भूखण्ड खरीदा, अब तक नहीं बना आशियाना

सीकर निवासी आशुतोष शर्मा ने बताया कि वह नगर परिषद व यूआइटी की आवासीय योजनाओं का कई साल से इंतजार रहे थे। पिछले साल एक निजी कॉलोनी में भूखण्ड खरीद लिया। लेकिन जमा पूंजी का ज्यादातर हिस्सा भूखण्ड खरीदने में ही खर्च हो गया। ऐसे में अब तक आशियाना नहीं बना सके है।

यूआइटी की कदमताल: कॉलोनी के लिए फॉर्म भरवाए, लॉटरी नहीं तो पैसे लौटाए

यूआइटी की ओर से लगभग 13 साल पहले गोविन्द नगर आवासीय योजना के आवेदन लिए थे। दो साल में भी भूखण्डों की लॉटरी नहीं निकलने पर कई आवेदनों ने मामले में न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसके बाद यूआइटी ने सभी आवेदकों को राशि वापस लौटा दी थी। यह कॉलोनी जमीन विवाद की वजह से अब तक धरातल पर नहीं आ सकी। इसके बाद यूआइटी की ओर से लगभग दस साल बाद अब नए सिरे से एक कॉलोनी का प्रस्ताव तैयार किया है।
फैक्ट फाइल

यूआइटी की कॉलोनी का इंतजार: 45 हजार से अधिक परिवारों को

कितने साल से कोई सरकारी कॉलोनी नहीं: 13 साल

शहर में हर साल निजी कॉलोनी: 200 से अधिक
नगर परिषद व यूआइटी की अनुमोदित कॉलोनी: लगभग 120

यूआइटी ने इस साल प्रस्ताव तैयार किया: 01

यूआइटी का दावा: एक कॉलोनी का प्रस्ताव तैयार

यूआइटी की ओर से चंदपुरा आवासीय कॉलोनी के प्रस्ताव को फिर से आगे बढ़ाया है। अनुमोदन के लिए प्रस्ताव मुख्यालय भिजवाया गया है। मंजूरी मिलते ही आवासीय योजना के लिए आवेदन शुरू किए जांएगे। जल्द ही अन्य आवासीय व व्यावसायिक योजनाओं के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे।
जगदीश गौड़, सचिव, यूआइटी, सीकर

टॉपिक एक्सपर्ट…..

शहर में लगातार होते आबादी विस्तार के बीच विकास संभावनाओं के जरिए सुनियोजित शहर की परिकल्पना के लिए यूआइटी की सौगात शिक्षानगरी को मिली थी। 13 साल में भी एक भी आवासीय कॉलोनी यूआइटी के नहीं बसा पाने की वजह से शहरवासियों को मजबूरन निजी कॉलोनाजर्स से भूखण्ड लेने पड़ रहे है। इससे राज्य सरकार को सीधे तौर पर राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।
इंजी. दीपक पारीक, कन्सलटेंट रियल एस्टेट, सीकर

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