बजट हुआ प्रभावित
उपभोक्ताओं के अनुसार एक माह पहले तक आसमान छू रहे रोजमर्रा की जरूरत वाली सब्जियों के भाव औंधे मुंह गिरने से फिलहाल राहत मिली है। बाजार में खुदरा में अधिकांश सब्जियां सस्ती होने से रसोई का बजट सीधे तौर प्रभावित हुआ है। व्यापारियों के अनुसार गर्मी के मौसम में खेत में सिंचाई के बावजूद खराब हो जाने के कारण सब्जी के भाव महंगे रहते हैं, लेकिन इस साल पिछले साल की तुलना में भयंकर गर्मी पड़ने के बावजूद भी सभी सब्जियों के दाम सस्ते हैं। सब्जियों की फसलें भी तापमान वृद्धि के प्रति संवेदनशील होती हैं, इसलिए लू के कारण इनकी पैदावार में कमी आ जाती है। जब किसी सब्जी की पैदावार कम होती है तो उसकी आपूर्ति भी कम हो जाती है। इससे बाजार में उस सब्जी की कीमत बढ़ जाती है क्योंकि मांग अधिक होती है और आपूर्ति कम होती है। इसलिए लू के कारण सब्जियों के भाव गिरने के बजाए जाते हैं।
फैक्ट फाइल भाव प्रति किलो रुपए में
सब्जी— थोक— खुदरा हरी मिर्च- 6 से 7—-40 हरा टमाटर- 4 से 8 —–20 प्याज-6 से 7 —20 हरी ककड़ी- 13 से 15—- 35 से 40 भिंडी- 35 से 40—–70 से 80 तुरई- 23 से 25— 55 से 60 घीया- चार से पांच— 17 से 20 तरबूज- पांच से आठ—20 से 25 खरबूजा- आठ से दस —- 30 से 40
इनका कहना है
सब्जियों के दाम अचानक से कम होना, पैदावार का अधिक होना है। पिछले सीजन में उत्पादन बढ़ने से और स्थानीय सब्जी की पैदावार ज्यादा हुई है। आगामी दिनों में सब्जियों की कमी के कारण भावों में तेजी आएगी।
रतनलाल सैनी, थोक विक्रेता सीकर मंडी
तापमान बढ़ने के कारण सिब्ज्यों की गुणवत्ता खराब हो गई है। इस वजह से ही सब्जियों के दाम कम हुए हैं। सब्जियों के दाम कम होने से आम आदमी को कम दामों में सब्जियां मिलने लगी है।
रवि सैनी, खुदरा विक्रेता शेखपुरा