प्रभु से मिलन के लिए निष्कपट होना आवश्यक : रामस्वरूपाचार्य
रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि यदि भगवान से मिलन करना हो, तो भक्ति के मार्ग पर चलना होगा। कथा में बुंदेला परिवार सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।
भोपाल रोड़ स्थित नए बस स्टैंड के सामने शनिवार को कथा के सातवें दिन जगद्गुरु रामस्वरूपाचार्य ने रामचरितमानस के सबसे रसपूर्ण केवट प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रभु से मिलन के लिए सरल और निष्कपट होना आवश्यक है। केवट का भगवान से चरण धुलवाने का आग्रह और उनकी सरलता भक्ति के उच्चतम रूप को दर्शाती है। वनवास के दौरान जब भगवान राम, सीता, और लक्ष्मण सरयू नदी पार कर रहे थे, तब केवट से नाव मांगने के बावजूद केवट ने कुछ नहीं मांगा। केवट ने शर्त रखी कि नाव में चढ़ने से पहले राम भगवान के चरण धोने दें। रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि यदि भगवान से मिलन करना हो, तो भक्ति के मार्ग पर चलना होगा। कथा में बुंदेला परिवार सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।
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