प्रदेश सरकार ने एक बार फिर सरकारी बसों के संचालन की घोषणा की है, जिसके तहत नगरीय निकायों को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्ला ने रीवा सहित अन्य जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर बस स्टैंड और इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन के लिए भूमि चिह्नित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार सार्वजनिक परिवहन को सुगम बनाने के लिए पब्लिक बस ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी का गठन करने जा रही है, जिसके तहत आवश्यक अधोसंरचना का निर्माण किया जाएगा।
ई-बसों को मिलेगी प्राथमिकता
प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) नीति-2025 लागू की जा रही है। प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के तहत छह शहरों में 600 शहरी बसों के संचालन की स्वीकृति भारत सरकार ने प्रदान की है। इसके अलावा, अन्य प्रमुख नगरीय निकायों में भी इलेक्ट्रिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और बस डिपो का निर्माण किया जाएगा।
अमृत योजना के तहत संचालित सूत्र सेवा में भी इलेक्ट्रॉनिक बसों को शामिल किया जा रहा है। पहले चरण में प्रदेश के 12 शहरों में कुल 126 ई-बसें चलाई जाएंगी, जिनमें रीवा को छह, सतना और सिंगरौली को दो-दो, कटनी को चार, सागर को 14, उज्जैन को 16, भोपाल को 22, इंदौर को 26, जबलपुर को 14, ग्वालियर को चार, देवास को दस और खंडवा को छह बसें आवंटित की गई हैं।
रीवा में चार्जिंग स्टेशन का इंतजार
रीवा शहर में पिछले दो सालों से इलेक्ट्रॉनिक बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है। नगर निगम ने पड़रा में इसके लिए भूमि आरक्षित की है, लेकिन चार्जिंग स्टेशन नहीं बनने के कारण बसों का संचालन रुका हुआ है।
पिछले साल नगर निगम ने 18 बसों के संचालन का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन शासन ने इसे संशोधित कर छह बसों को स्वीकृति दी है। अब रीवा से चित्रकूट, सीधी और मऊगंज के लिए दो-दो बसें चलाई जाएंगी, जो प्रतिदिन दो चक्कर लगाएंगी। यह योजना सार्वजनिक परिवहन को सुलभ बनाने और प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।