विरासत का डिजिटल संरक्षण जरूरी


हमारी धरोहर हमारा गौरव है। किसी भी देश के लिए उसकी धरोहर उसकी अमूल्य संस्कृति होती है। किसी भी देश की पहचान, वहां की सभ्यता की जानकारी इन धरोहरों से ही पता चलती है। आज देश का गौरव बढ़ाने का काम धरोहरें ही कर रही हैं। जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रत्येक वर्ष एक देश से दूसरे देश, एक राज्य से दूसरे राज्य जाते हैं।
यूं तो हमारे यहां धरोहर स्थलों, प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है। लेकिन फिर भी संरक्षण के अभाव में आज कई ऐतिहासक धरोहरें उपेक्षा का शिकार हो रही है।
आज हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बनाए रखने पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है। आज देष की समृ़द्व विरासत को डिजिटल रूप में भी संरक्षित करने की जरूरत है।
आज डिजिटल क्रांति के चलते हर क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का उपयोग बढ़ गया है। अब तो विरासत संरक्षण के क्षेत्र में भी डिजिटल तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जाने लगा है। आज प्राकृतिक या सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में डिजिटल तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका है। डिजिटल तकनीक से विरासत के हर पहलु को संरक्षित किया जा सकता है।
वैसे सांस्कृतिक विरासत और प्रौद्योगिकी के बीच संबध कई मायनों में उपयोगी है। डिजिटल तकनीक से विरासत के संरक्षण होने से पर्यटक कही भी कभी भी वास्तविक विरासत जान सकता है, आनंद ले सकता है और महसूस कर सकता है। सांस्कृतिक विरासत के प्रसार के लिए डिजिटल संरक्षण महत्वपूर्ण है। इसमें आभासी दुनिया के द्वारा विरासत का पूरा खाका हुबहू पेश किया जा सकता है।
डिजिटल तकनीक से विरासत से जुड़ी विभिन्न चित्रकारी, भिति चित्रों और अन्य वस्तुओं को हुबहू उसी शैली में डिजिटल रूप में संरक्षित किया जा सकता है। साथ ही कही पर भी कभी भी विरासत से जुड़ी संरक्षित सामग्री का भव्य और आकर्षक प्रस्तुतिकरण किया जा सकता है। आने वाली पीढ़ी को विरासत से अवगत करवाने तथा विरासत के संरक्षण की दिशा में विरासत का डिजिटल संरक्षण हर लिहाज से प्रासंगिक व उपयोगी है।
आज ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों, वास्तुकला, स्मारकों, कलाकृतियों और दस्तावेजों को डिजिटल करने पर जोर दिया जाने लगा है। विरासत का अर्थ है जो हमें अपने पूर्वजों और अपने अतीत से विरासत में मिलता है। भारत विविध संस्कृतियों और परंपराओं का देश है । भारतीय विरासत और संस्कृति विशाल और जीवंत है। विरासत या धरोहर सभी के लिए भावनात्मक महत्त्व रखती है। विरासत पर्यटन एक शक्तिशाली आर्थिक विकास उपकरण है, जो रोजगार पैदा करता है। व्यापार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। यह हमारे देश के प्राकृतिक और सांस्कृतिक खजाने की रक्षा करने, निवासियों और आगंतुकों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है। भारत सरकार ने विरासत पर्यटन को आर्थिक विकास के प्रमुख इंजन के रूप में मान्यता दी है।
हमारे यहां की विरासतें बेजोड़ स्थापत्य कला व चित्रकला का नायाब उदाहरण है। विरासत से देश व देश के लोगों की पहचान प्रस्तुत होती है। पूर्वजों से प्राप्त वह प्रत्येक वस्तु जो हमारे चारों तरफ उपस्थित है विरासत कहलाती है। हमारे देश में अनेक स्थानों पर ऐतिहासिक किले, दुर्ग, हवेली, प्राचीन मदिर है जो अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए मशहूर है। इन स्थलों पर बहुत खूबसूरत चित्रकारी की हुई है, जो बरबस ही देखने वालों को आकर्षित करती है। इन हवेलियों की दीवारो पर अराईस बेहद चिकनी, आकर्षक तथा उच्च स्तरीय है। इनमें बनाए गए विभिन्न भिति चित्र आकर्षक नजर आते है।
भारत में पुरातात्त्विक अवशेषों के समृद्ध भंडार वाले कई स्थल विकासात्मक गतिविधियों के कारण नष्ट हो गए हैं। मूल्यवान विरासत संसाधन अप्राकृतिक मौत मर रहे हैं, कुछ किले बर्बाद हो रहे हैं और कुछ दयनीय स्थिति में हैं।
सांस्कृतिक विरासत मनुष्य की योग्यता, कुशलता एवं कलात्मक प्रतिभा को सूचित करती है। पुरातन सभ्यता और संस्कृति हमारे देष की पहचान है जिसे कायम रखना हमारा दायित्व है। अपनी सभ्यता, संस्कृति, प्रगति की जानकारी जीवंत रूप में भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए विरासत का संरक्षण आवष्यक है। हमें आज अपनी विरासत को संरक्षित करने पर विषेष प्रयास करने की जरूरत है। वैसे हमारे जीवन के समृद्व अतीत की याद दिलाने में संग्रहालय एक अहम भूमिका निभाते हैं।
आज भारत के संग्रहालय न सिर्फ सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन और संरक्षण के साधन है बल्कि भावी पीढ़ियों को षिक्षित भी कर रहे हैं। आज हमारे संग्रहालयों को नए डिजिटल युग में प्रासंगिक बनाने के लिए खुद को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। आज देश का गौरव बढ़ाने का काम धरोहरें ही कर रही है। हमारी कला और संस्कृति की आधार शिला भी हमारे विरासत स्थल है। इसलिए सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासतों का संरक्षण अपरिहार्य कार्य है। अब हमें जमाने के अनुसार धरोहरों का डिजिटल संरक्षण करने की जरूरत है।
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