पिछले आठ दशकों के दुनिया के कामकाज का ऑडिट करना, इसके बारे में ईमानदार होना और यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि दुनिया में संतुलन और शक्ति का वितरण बदल गया है। हमें एक अलग बातचीत और अलग व्यवस्था की जरूरत है। सम्मेलन में 125 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
न्यायसंगत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत नीतियों में विसंगति: पश्चिमी देशों की नीतियों की विसंगतियों पर उन्होंने कहा, आज जब हम राजनीतिक हस्तक्षेप की बात करते हैं, तो पश्चिमी देश इसे लोकतंत्र का समर्थन कहते हैं, पर जब हम उनके मामलों पर सवाल उठाते हैं, तो इसे दुर्भावनापूर्ण बताया जाता है। आज वैश्विक व्यवस्था की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए हमें एक मजबूत और न्यायसंगत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है।
प्रभावी वैश्विक व्यवस्था महत्त्वपूर्ण जयशंकर ने कहा, एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्त्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। यदि कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, चरमपंथी रुख वाले देश भी अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे। पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं।
गबार्ड ने ‘अलोहा’ और ‘नमस्ते’ से किया अभिवावदन अमरीकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भारत की समृद्ध संस्कृति व लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रशंसा की और कहा, ‘अलोहा’ व ‘नमस्ते’ केवल अभिवादन के शब्द नहीं, बल्कि सम्मान और एकता के प्रतीक हैं।