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‘कश्मीर को विवादित मुद्दा बनाने में पश्चिम का हाथ’

खरी-खरी: विदेशमंत्री जयशंकर ने दिखाया आईना नई दिल्ली. रायसीना डायलॉग 2025 के दूसरे दिन मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक राजनीति में दोहरे मानदंडों पर तीखा प्रहार किया। ‘सिंहासन और कांटे: राष्ट्रों की अखंडता की रक्षा’ सत्र में जयशंकर ने कहा, ’द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर […]

जयपुरMar 20, 2025 / 12:54 am

Nitin Kumar

External Affairs Minister S Jaishankar

External Affairs Minister S Jaishankar

खरी-खरी: विदेशमंत्री जयशंकर ने दिखाया आईना

नई दिल्ली. रायसीना डायलॉग 2025 के दूसरे दिन मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक राजनीति में दोहरे मानदंडों पर तीखा प्रहार किया। ‘सिंहासन और कांटे: राष्ट्रों की अखंडता की रक्षा’ सत्र में जयशंकर ने कहा, ’द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी अन्य देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जे का उदाहरण कश्मीर है। हमने संयुक्त राष्ट्र का रुख किया, पर आक्रमण को विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीडि़त को बराबर रखा गया। दोषी कौन थे? यूके, कनाडा, बेल्जियम, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका? इसलिए मुझे माफ करें, मेरे पास उस पूरे विषय से जुड़े कुछ प्रश्न हैं…।’
पिछले आठ दशकों के दुनिया के कामकाज का ऑडिट करना, इसके बारे में ईमानदार होना और यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि दुनिया में संतुलन और शक्ति का वितरण बदल गया है। हमें एक अलग बातचीत और अलग व्यवस्था की जरूरत है। सम्मेलन में 125 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
न्यायसंगत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत

नीतियों में विसंगति: पश्चिमी देशों की नीतियों की विसंगतियों पर उन्होंने कहा, आज जब हम राजनीतिक हस्तक्षेप की बात करते हैं, तो पश्चिमी देश इसे लोकतंत्र का समर्थन कहते हैं, पर जब हम उनके मामलों पर सवाल उठाते हैं, तो इसे दुर्भावनापूर्ण बताया जाता है। आज वैश्विक व्यवस्था की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए हमें एक मजबूत और न्यायसंगत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है।
प्रभावी वैश्विक व्यवस्था महत्त्वपूर्ण

जयशंकर ने कहा, एक प्रभावी वैश्विक व्यवस्था दुनिया के लिए उतनी ही महत्त्वपूर्ण है, जितनी किसी देश के लिए घरेलू शासन व्यवस्था। यदि कोई व्यवस्था नहीं होगी, तो बड़े देशों को ही लाभ नहीं मिलेगा, चरमपंथी रुख वाले देश भी अव्यवस्था को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करेंगे। पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जोखिम भरा देश होने के लिए बड़ा होना जरूरी नहीं।
गबार्ड ने ‘अलोहा’ और ‘नमस्ते’ से किया अभिवावदन

अमरीकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भारत की समृद्ध संस्कृति व लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रशंसा की और कहा, ‘अलोहा’ व ‘नमस्ते’ केवल अभिवादन के शब्द नहीं, बल्कि सम्मान और एकता के प्रतीक हैं।

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