सच्चा प्यार सबसे बड़ा उपहार एक बार की बात है। एक सुंदर बगीचे में रहने वाली राजकुमारी स्नो व्हाइट का जन्मदिन था। वह बहुत दयालु और प्यारी थी, इसलिए सभी बच्चे उसे बहुत पसंद करते थे। जब बच्चों को पता चला कि आज स्नो व्हाइट का जन्मदिन है, तो वे उसे सरप्राइज देने का सोचने लगे। सभी बच्चे खुशी-खुशी तैयार हुए। कोई उपहार लेकर आया, कोई फूलों की टोकरी, और कोई अपने प्यारे खिलौने दिखाने आया। एक छोटी बच्ची अपने डॉग को भी साथ लाई ताकि वह भी स्नो व्हाइट को विश कर सके। जब वे सब स्नो व्हाइट के पास पहुंचे, वह एक सुंदर पीली पोशाक में खड़ी मुस्कुरा रही थी।
बच्चों ने जोर से कहा, जन्मदिन मुबारक हो, स्नो व्हाइट। वह यह देख कर बहुत खुश हुई और सबको प्यार से गले लगाया। स्नो व्हाइट ने फूलों की टोकरी बच्चों को दिखाई और कहा, आप सबका प्यार ही मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है। सभी ने मिलकर गाना गाया, नाचा और खूब मजा किया। उस दिन का जश्न बच्चों के दिलों में हमेशा के लिए बस गया। सीख: सच्चा प्यार और साथ ही सबसे बड़ा उपहार होता है।
- तनिष्का बीरदा, उम्र- 7 वर्ष
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दोस्तों की मस्तीएक समय की बात है। एक सुंदर सी लड़की थी। उसने पीले रंग की एक प्यारी सी ड्रेस पहनी हुई थी। उसके हाथ में फूलों का एक रंग-बिरंगा गुलदस्ता था। वह एक पार्क में खड़ी थी। जहां बहुत सारे छोटे-छोटे बच्चे खेल रहे थे। उसने बच्चों को हंसते-खेलते देखा तो उसे बहुत अच्छा लगा। वह उनके पास गई और उनसे बातें करने लगी। उन्हें वो पीले रंग की ड्रेस वाली लड़की बहुत प्यारी लगी। एक छोटी लड़की थोड़ा झिझकते हुए आगे आई और बोली, नमस्ते! आप कौन हो? लड़की ने जवाब दिया, ये देखो, मेरे पास तुम्हारे लिए फूल हैं। उसने गुलदस्ते से एक-एक फूल निकालकर बच्चों को दिए। एक लड़के ने फूलों के साथ-साथ उसे धन्यवाद कहा।
फिर एक दूसरी लड़की आगे आई और उसने उस लड़की को एक छोटा सा गिफ्ट दिया। एक अन्य लड़की जो एक सुंदर डॉग का बच्चा पकड़े थी, बोली, ये मेरा पालतू है। इसका नाम फ्लफी है। फ्लफी ने भी अपनी पूंछ हिलाई और उस लड़की के प्रति अपनी खुशी जाहिर की। एक और छोटी लड़की ने अपनी गेंद दिखाई और कहा, मुझे गेंद से खेलना बहुत पसंद है! पीले रंग की ड्रेस वाली लड़की ने सभी बच्चों से बातें कीं और उन्हें बहुत प्यार किया। उसने उन्हें बताया कि हमेशा एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और अच्छे दोस्त बनना चाहिए। बच्चे बहुत खुश थे और उन्होंने उस लड़की को धन्यवाद कहा। फिर वे सब मिलकर खेलने लगे।
देवर्ष खत्री, उम्र-7वर्ष
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अच्छाई के मार्ग पर चलें
एक समय की बात है किसी राज्य में प्रेरणा नाम की एक लड़की रहती थी। उसे बच्चे बहुत पसंद थे और वह गरीब बच्चों की मदद करना चाहती थी। लेकिन उसका परिवार गरीब था। वह ऐसा करने में असमर्थ थी। एक दिन जब गर्मियों में जंगल से लकडिय़ां काटकर बाजार में बेचने के लिए जा रही थी तो देखा कि एक बूढ़ा व्यक्ति जो सभी लोगों से पीने के लिए पानी मांग रहा था। उसने उसे पानी पिलाया। वह बूढ़ा व्यक्ति उसे धन्यवाद देकर वहां से चला जाता है।
उसे ऐसा करते देख वहां पर कुछ लोग उसका मजाक उड़ाते हैं और कहते हैं कि देखो कितनी पागल लड़की है क्या इसे नहीं पता कि पानी की वैसे ही बहुत कमी चल रही है। प्रेरणा बिना कुछ बोले वहां से चली जाती है। अगले दिन प्रेरणा और उसकी मां को राजा के दरबार में बुलाया जाता है । यह बात पूरे राज्य में फैल जाती है। इस बात से प्रेरणा की मां डर जाती है क्योंकि उन्हें लग रहा था कि उनसे कोई भूल हो गई जिस कारण राजा उन्हें दंड देने वाले हैं लेकिन प्रकृति को कुछ और मंजूर था। राजा उसे धन देते और उसकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि कल जिस बूढ़े व्यक्ति को तुमने पानी पिलाया था । वह मैं ही था। इसके बाद लड़की तैयार होकर बच्चों को तोहफे देने पहुंच जाती है।
नंदिनी चौधरी,उम्र-12वर्ष
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एक यात्रा खुशी से भरी
एक छोटे से गांव में एक राजकुमारी अपने राज्य के लोगों से मिलने आई थी। वह अपने साथ फूलों का एक सुंदर गुलदस्ता लेकर आई थी, जिसे देखकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। राजकुमारी ने बच्चों को गले लगाया और उन्हें उपहार दिए। बच्चे राजकुमारी के साथ खेलने लगे। राजकुमारी ने बच्चों को अपने राज्य के बारे में बताया और उन्हें अपने साथ घूमने के लिए आमंत्रित किया। बच्चों ने राजकुमारी के साथ बहुत मजा किया। राजकुमारी ने बच्चों को बताया कि वह उनके साथ समय बिताने आई है और उनकी खुशी में शामिल होना चाहती है।
बच्चों ने राजकुमारी को अपने घर ले जाकर अपने परिवार से मिलवाया और उन्हें अपने पसंदीदा व्यंजन खिलाए। इस दिन ने बच्चों के जीवन में एक नई खुशी और उत्साह भर दिया। राजकुमारी की यात्रा ने उन्हें यह सिखाया कि सच्ची खुशी दूसरों के साथ समय बिताने और उनकी खुशी में शामिल होने में है। बच्चों ने राजकुमारी को धन्यवाद दिया और उन्हें अपने दिलों में हमेशा के लिए याद रखा। राजकुमारी की इस यात्रा ने गांव के लोगों को भी एकजुट किया।
सार्थक शर्मा, उम्र-12वर्ष
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जन्मदिन पर राजकुमारी की दयालुता
एक नगर में एक राजकुमारी अपने राजमहल में रहती थी। राजकुमारी का नाम बेला था। बेला बहुत अच्छी और दयालु थी। वह हमेशा दूसरों के बारे में सोचती तथा उनकी सहायता करती। यह बात राजा-रानी को बहुत अच्छी लगती। बेला को फूल बहुत पसंद थे। वह हमेशा एक टोकरी में फूल रखे रहती तथा दूसरे बच्चों को भी फूल देती ताकि बच्चे फूलों की तरह खिलखिलाते रहें। एक दिन राजकुमारी का जन्मदिन आया। यह बात बच्चों को पता थी। इसलिए बच्चों ने पहले से ही उपहार तैयार कर लिए थे। जब बेला अपने राज महल से बाहर निकली तब सभी बच्चे जोर से बोले हमारी प्रिय राजकुमारी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
फिर सभी बच्चे एक-एक करके राजकुमारी बेला को उपहार देने लगे। कोई डिब्बे में रखकर उपहार लाया कोई किताब लाया कोई तो डॉग के बच्चे को उपहार में देने के लिए लाया। एक बच्ची के पास कुछ नहीं था। वह रोटी उठा लाई। कुछ बच्चों के पास कुछ नहीं होने से वे खाली हाथ आ गए। बेला को सभी बच्चों के उपहार अच्छे लगे। बेला ने सोचा उसे भी बच्चों के लिए कुछ करना चाहिए। बेला अपने माता-पिता के पास गई और बच्चों के लिए कपड़े मंगवाने को कहा। अगले दिन राजकुमारी बेला ने बच्चों को कपड़े दिए तथा धन्यवाद कहाञ बच्चों ने भी राजकुमारी को धन्यवाद कहा। सीख- हमें एक-दूसरे की खुशी का ध्यान रखना चाहिए।
नीलम विश्वकर्मा, उम्र-11वर्ष