कोर्ट से की ये अपील
साकेत कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विपिन खरब के समक्ष पेशी के दौरान, पाटकर के वकील ने कहा, मैं केवल निवेदन कर रही हूं कि मुझे रिहा कर दिया जाए, ताकि मैं प्रोबेशन बॉन्ड की शर्तों को पूरा कर सकूं। इस पर अदालत ने पूछा, क्या आपको कोर्ट के आदेश के अनुसार 3 मई तक का समय नहीं दिया गया था? पाटकर के वकील ने कहा, गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है, मैं उससे इनकार नहीं कर रहा। प्रोबेशन का आदेश अभी भी प्रभावी है। मैं आज ही प्रोबेशन बॉन्ड दाखिल करूंगी। मुझे कोर्ट आते वक्त रास्ते से ही उठा लिया गया।
कोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश
अदालत ने उन्हें प्रोबेशन बॉन्ड दाखिल करने की अनुमति दी और रिहा करने का आदेश दिया। पाटकर को दोपहर 12:30 बजे अदालत में पेश किया गया था। इस दौरान एल-जी वी.के. सक्सेना के वकील गजिंदर कुमार भी कोर्ट में मौजूद थे। दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस उपायुक्त रवि कुमार सिंह ने कहा, हमने गैर-जमानती वारंट को क्रियान्वित कर दिया है और मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस की एक टीम सुबह उनके निवास पर पहुंची और उन्हें हिरासत में लिया।
जानिए क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि यह मामला 25 नवंबर 2000 को दिए गए एक प्रेस वक्तव्य से जुड़ा है, जिसमें पाटकर ने उस समय एनजीओ ‘नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष रहे सक्सेना को कायर कहा था और उन पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था। पाटकर ने यह भी आरोप लगाया था कि सक्सेना, जो उस समय गुजरात सरकार के सरदार सरोवर परियोजना का समर्थन कर रहे थे, गुपचुप तरीके से NBA का भी समर्थन कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा था कि सक्सेना ने NBA को एक चेक दिया था जो बाउंस हो गया था।