राजा इकबाल सिंह की वापसी
मेयर पद के भाजपा उम्मीदवार राजा इकबाल सिंह का दिल्ली की स्थानीय राजनीति में लंबा अनुभव रहा है। वे पहले भी उत्तर दिल्ली नगर निगम के मेयर रह चुके हैं और जीटीबी नगर से पार्षद भी रहे हैं। वे शिरोमणि अकाली दल की राजनीति से निकलकर भाजपा में शामिल हुए थे। सितंबर 2020 में जब अकाली दल ने कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार से समर्थन वापस लिया, तब राजा इकबाल सिंह को पार्टी ने निगम के पदों से इस्तीफा देने को कहा था। लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और कुछ ही महीने बाद भाजपा ने उन्हें मेयर पद से नवाज़ा। राजनीतिक जानकार इसे उस दौर की रणनीति का हिस्सा मानते हैं जब अकाली दल कमजोर हो रहा था और कई नेता भाजपा में शामिल हो रहे थे।
आप सरकार से तंग आ चुकी थी जनता: इकबाल सिंह
एमसीडी वार्षिक चुनाव के लिए मेयर पद के उम्मीदवार सरदार राजा इकबाल सिंह कहते हैं, यह दिल्ली की जनता की जीत है जो आप सरकार से तंग आ चुकी थी। अब ट्रिपल इंजन की सरकार बनेगी और दिल्ली का विकास शुरू होगा। पूरे सिविक सेंटर में कमल खिलेगा क्योंकि हमें लोगों का भरपूर समर्थन मिल रहा है।
आप की रणनीति पर सवाल
दिल्ली में पिछले तीन वर्षों से एमसीडी में बहुमत रखने वाली आम आदमी पार्टी ने इस बार मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा। ‘AAP’ नेता और दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा कि भाजपा हमेशा पिछले दरवाजे से सत्ता में आने की कोशिश करती है और इसी का उदाहरण एमसीडी में भी देखने को मिल रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने जानबूझकर एमसीडी चुनाव गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ कराए, ताकि ‘आप’ की ताकत को कमजोर किया जा सके।
AAP ने क्यों डाले हथियार
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ‘AAP’ की इस रणनीति के पीछे 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर चिंता हो सकती है। यदि एमसीडी में महापौर चुनाव में हार होती है, तो उसका असर पंजाब की सियासत पर पड़ सकता है, जहां फिलहाल आम आदमी पार्टी की सरकार है।
कांग्रेस का तीखा हमला
आप के इस फैसले पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि आप मैदान से भाग रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि आप के पास अब जनता को जवाब देने के लिए कुछ नहीं बचा है, इसलिए चुनाव में उतरने से डर रही है। यादव ने यह भी कहा कि आप के अंदर आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो चुका है और पार्टी अब तानाशाही ढर्रे पर चल रही है। चुनाव परिणामों पर नजर
एमसीडी में अब जब केवल भाजपा ने ही अपने प्रत्याशी उतारे हैं, तो उनके निर्विरोध चुने जाने की संभावना बन गई है। यह स्थिति भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर सकती है, जबकि ‘आप’ की राजनीतिक साख और रणनीति पर सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में आगे दिल्ली की राजनीति किस करवट लेती है, इस पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।