जानकारी के अनुसार, सुबह करीब 9 बजे कालीबाई भील (30) को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो ग्रामीणों ने 108 एंबुलेंस को सूचना दी। कालीबाई और उसके पति सोनू भील, जो मजदूरी करते हैं, के पास अस्पताल जाने का कोई साधन नहीं था। पति उसे चौराहे तक ले आया, जहां ग्रामीणों ने दोबारा 108 पर कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंची।
प्रसव पीड़ा बढ़ने पर स्थानीय महिलाओं ने खाट लगाकर और चादरों से घेरकर कालीबाई की डिलीवरी करवाई। उसने एक स्वस्थ बालक को जन्म दिया। प्रत्यक्षदर्शी मनीष मेवाड़ा ने बताया कि एंबुलेंस करीब एक घंटे की देरी से कोटा से पहुंची, जिसके बाद जच्चा-बच्चा को मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल दोनों सही हैं।
स्वास्थ्य केंद्र की कमी से ग्रामीण परेशान
स्थानीय निवासी शुभम जैन ने बताया कि पहले रानपुर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) था, लेकिन क्षेत्र के नगर निगम में शामिल होने के बाद इसे बंद कर पुनिया देवरी में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां आबादी नहीं है। वहां केवल पीएचसी और यूआईटी का ऑफिस बना हुआ है। रानपुर की करीब 6,000 की आबादी के साथ 20 अन्य गांव भी जुड़े हुए हैं, लेकिन यहां कोई स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है।
ग्रामीणों ने कई बार जनप्रतिनिधियों को इस समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि गांव में एक स्थायी 108 एंबुलेंस तैनात की जाए और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को पुनः शुरू किया जाए, ताकि ऐसा दोबारा न हो।