हर बार आंदाेलनकर्मी रुकवाते आंदोलनकर्मी ‘डोल का बाढ़’ बचाओ अभियान के तहत हरियाली क्षेत्र को बचाने में जुटे हैं। रीको यहां कई बार जेसीबी मशीन भेजकर खुदाई व अन्य कार्य शुरू करा चुका है, लेकिन हर बार आंदाेलनकर्मी हरियाली को उजड़ने से बचाने के लिए इसे रुकवाते आए हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर तक इस मुहिम में जुड़ी हैं।
प्रति व्यक्ति 9 वर्गमीटर ग्रीन एरिया की जरूरत.. पर्यावरण प्रेमियों का दावा है कि नेशनल ग्रीन गाइडलाइन के अनुसार प्रति व्यक्ति 9 वर्गमीटर तक ग्रीन एरिया होना चाहिए, लेकिन शहर में यह सिर्फ 2.25 वर्गमीटर ही है। ऐसे में सरकार को ऐसे हरियाली से आच्छादित क्षेत्र को बचाना चाहिए।
रीको का यह तर्क यह जमीन रीको स्वामित्व की है। वर्ष 1988 में यह औद्योगिक इकाई के लिए लीज पर दी गई थी, लेकिन लीज शर्तों की पालना नहीं होने के कारण इसे रद्द कर दिया गया था। रीको अधिकारियों का तर्क है कि जमीन के भू-उपयोग के अनुरूप ही यहां गतिविधि संचालित की जाएगी और इसी आधार पर प्लानिंग की गई है। आंदोलनकर्मी कोर्ट तक गए, लेकिन रीको के पक्ष में फैसला आया है।