इस आर्टिकल में हम बताएंगे यूरिक एसिड की समस्या में नॉन वेज का सेवन कैसे किया जा सकता है, ताकि आप स्वाद का भी आनंद ले सकें और स्वास्थ्य पर भी कोई बुरा असर न हो।
यूरिक एसिड में Food Items से परहेज करना जरूरी
यूरिक एसिड एक गंभीर समस्या है, जिसमें आहार पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है। कुछ फूड आइटम्स ऐसे होते हैं जिनसे पूरी तरह परहेज करना पड़ता है, क्योंकि इनका सेवन करने से स्थिति और बिगड़ सकती है। अगर मरीज इनका परहेज नहीं करता, तो किडनी के डैमेज होने का खतरा भी बढ़ सकता है। नॉन वेज (मांसाहारी भोजन) भी इन फूड आइटम्स में शामिल है, क्योंकि यह यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है। यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर में नॉन वेज का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए?
American Scientific Research Journal और National Library of Medicine के मुताबिक नॉन वेज फूड आइटम्स में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जिससे शरीर में यूरिक एसिड का उत्पादन बढ़ता है। इसके कारण
यूरिक एसिड का स्तर और अधिक बढ़ सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। खासकर रेड मीट से पूरी तरह से बचना चाहिए, क्योंकि यह यूरिक एसिड को और बढ़ाता है। यदि आप इसके बावजूद मीट का सेवन करते हैं, तो किडनी और लीवर पर बुरा असर पड़ने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि आपके शरीर में यूरिक एसिड का स्तर सामान्य रहे। सामान्य यूरिक एसिड स्तर पुरुषों के लिए 4 से 6.5 mg/dl और महिलाओं के लिए 3.5 से 6 mg/dl माना जाता है।
यूरिक एसिड में आखिर कैसे खा सकते हैं नॉन वेज
अंडा (Egg): यूरिक एसिड के मरीज अगर अंडा खाना चाहते हैं, तो अंडे का सेवन किया जा सकता है, लेकिन इन्हें उबालकर या पका कर खाएं। कच्चे अंडे से बचें, क्योंकि वे शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ा सकते हैं। चिकन (Chicken): ऐसे तो यूरिक एसिड में नॉनवेज खाने से बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर चिकन की त्वचा हटा दी जाए और इसे तला या भुना न जाए, तो इसे उबालकर या ग्रिल करके खाया जा सकता है, ताकि यूरिक एसिड का प्रभाव कम हो।
मछली (Fish): मछली का सेवन आमतौर पर फायदेमंद होता है, लेकिन यूरिक एसिड में इसका सेवन ज्यादा मात्रा में हानिकारक हो सकता है। मछली का सेवन सीमित मात्रा में किया जाना चाहिए। तैलीय मछली जैसे सामन (Salmon) और ट्राउट (Trout) यूरिक एसिड के स्तर पर कम प्रभाव डालती हैं। तली हुई मछलियों से बचना चाहिए।
Ref Report :
The consumption of fish cooked by different methods was related to the risk of hyperuricemia in Japanese adults: A 3-year follow-up study डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।