कुछ तोड़ा, कुछ को छोड़ा
जिले में अभी भी ऐसे 86 जीर्णशीर्ण भवन हैं, जिनमें बच्चों को बैठाकर पढ़ाया नहीं जा सकता। इन भवनों के स्थान पर बच्चों को दूसरे भवनों में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। इससे स्कूल के कमरों की संख्या कम हुई है। हालांकि जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारियों की मानें तो स्कूलों में अतिरिक्त जीर्णशीर्ण भवनों से बच्चों को हटाकर दूसरे कमरों में बैठाया जा रहा है। इनमें काफी संख्या में भवनों को तोडकऱ मैदान कर दिया गया है, तो काफी भवनों को छोड़ दिया गया। जिला शिक्षा केंद्र के सहायक यंत्री राजू नायक ने बताया कि तामिया में 21, हर्रई में 15, बिछुआ, जुन्नारदेव में 12-12, अमरवाड़ा में 9, परासिया में 6, सौंसर में 5, चौरई, पांढुर्ना में 2-2, और छिंदवाड़ा, मोहखेड़ में 1-1 जीर्णशीर्ण भवनों को चिह्नित किया गया है। इन स्थानों में नए सिरे से स्कूल भवन बनाने के लिए 15 करोड़ रुपए से अधिक राशि की डिमांड भेजी गई है।मरम्मत योग्य स्कूल

इनका कहना है
जीर्णशीर्ण भवनों के साथ पर नए स्कूल भवन बनाने के लिए एवं मरम्मत योग्य स्कूल भवनों के सुधार के लिए वार्षिक कार्ययोजना 2025-26 के लिए फंड की मांग करते हुए सूची भेजी गई है। स्वीकृत होने पर सुधार कार्य या नवीन भवन बनाए जा सकेंगे।– जेके इडपाचे, डीपीसी जिला शिक्षा केंद्र