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छतरपुर को नगरनिगम बनाने की प्रक्रिया छह माह और टली, संशोधन के बाद दोबारा शासन के पास जाएगा प्रस्ताव

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो साल पहले छतरपुर गौरव दिवस समारोह में नगर निगम की घोषणा की थी। लेकिन दो वर्षों के बाद भी इस प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका है।

छतरपुरApr 06, 2025 / 10:25 am

Dharmendra Singh

muncipality chhatarpur

नगर पालिका छतरपुर

नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा देने की प्रक्रिया में एक बार फिर देरी हो गई है। नगर निगम बनाने के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में गूगल मैपिंग, जनसंख्या आंकड़े और निर्धारित क्षेत्रफल सीमा से जुड़ी कई गड़बडडिय़ां पाई गई हैं। जिसके चलते नगरीय निकाय एवं विकास विभाग ने इसे अस्वीकार कर दिया है और संशोधन के लिए वापस भेज दिया है। अब प्रस्ताव में सुधार करने में करीब छह महीने का समय लग सकता है।

नगरीय प्रशासन ने गिनाई खामियां


राजस्व अमले द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव के अनुसार छतरपुर नगर पालिका क्षेत्र के नजदीक स्थित 20 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने का निर्णय लिया गया था। यह सभी गांव शहर की सीमा से 8 किलोमीटर के दायरे में आते हैं। इन गांवों के शामिल होने से शहर की जनसंख्या बढकऱ लगभग तीन लाख तक पहुंचने की संभावना जताई गई थी। हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा इस प्रस्ताव को नगरीय निकाय एवं विकास विभाग को भेजा गया था, लेकिन वहां से यह वापस कर दिया गया। इसमें गूगल मैपिंग की खामियां, जनसंख्या आंकड़ों में त्रुटियां और निर्धारित क्षेत्रफल सीमा से जुड़ी विसंगतियां पाई गईं।

दो साल पहले की गई थी घोषणा


मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो साल पहले छतरपुर गौरव दिवस समारोह में नगर निगम की घोषणा की थी। लेकिन दो वर्षों के बाद भी इस प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जा सका है। प्रस्ताव के अनुसार, नगर निगम बनने के बाद छतरपुर की कुल जनसंख्या 362333 तक पहुंच जाएगी, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र की 63918 जनसंख्या भी शामिल होगी।

जनसंख्या के आंकड़ों पर संशय


समग्र पोर्टल के अनुसार छतरपुर नगर पालिका क्षेत्र की जनसंख्या 298415 है। लेकिन इसमें 1.88 लाख नागरिकों की केवाईसी अब तक अपडेट नहीं की गई है। वहीं, 2100 से अधिक डुप्लीकेट आईडी भी पाई गई हैं, जिससे जनसंख्या के आंकड़े में 60000 तक की कमी हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो नगर निगम के लिए आवश्यक न्यूनतम जनसंख्या मानक पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।

नगर निगम बनने की ये है प्रक्रिया


नगर निगम बनने के लिए सबसे पहले संबंधित ग्राम पंचायतों से संकल्प पारित कराया जाता है कि वे नगर निगम में शामिल होने के लिए तैयार हैं। इसके बाद जिला प्रशासन दावे-आपत्तियां आमंत्रित करता है और कलेक्टर द्वारा संशोधित प्रस्ताव नगरीय विकास एवं आवास विभाग को भेजा जाता है। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट और फिर राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाता है। राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद नगर निगम का औपचारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाता है।

इनका कहना है


चार महीने पहले कलेक्टर की स्वीकृति के बाद यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। उसमें कुछ ऋुटियां होने पर संशोधित करने के निर्देश मिले हैं। कमियों को दूर कर दोबारा प्रस्ताव बनाने की प्रक्रिया की जा रही है।
साजिदा कुरैशी, पीओ,डूडा

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