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छतरपुर शहर में 500 से अधिक दूध डेयरियां, बिना जांच खप रहा गुणवत्ताहीन दूध

शहर की गलियों और मोहल्लों में छोटी-बड़ी करीब 500 प्राइवेट दूध डेयरियां चल रही हैं, लेकिन नगर पालिका और खाद्य सुरक्षा विभाग इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे।

छतरपुरApr 09, 2025 / 10:33 am

Dharmendra Singh

milk

दूध डेयरी

शहर में मिलावटी और नकली दूध कारोबार की जांच नहीं हो रही है। हालात यह हैं कि शहर की गलियों और मोहल्लों में छोटी-बड़ी करीब 500 प्राइवेट दूध डेयरियां चल रही हैं, लेकिन नगर पालिका और खाद्य सुरक्षा विभाग इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे। इसका लाभ उठाकार मिलावटखोर नकली दूध को असली के बराबर दाम पर बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, जबकि आमजन को इसका खामियाजा गंभीर बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ रहा है।

बीमार पशुओ से ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन के जरिए निकाल रहे दूध


जानकारों के अनुसार इन दूध डेयरियों में असली दूध की बजाय यूरिया, डिटर्जेंट, वनस्पति घी और हाइड्रोजन परॉक्साइड जैसी हानिकारक चीजें मिलाकर नकली दूध तैयार किया जा रहा है। यह दूध न सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाता है बल्कि बच्चों की हार्मोनल ग्रोथ पर भी विपरीत असर डालता है। युवाओं में डिप्रेशन, हॉर्मोनल असंतुलन और लीवर संबंधी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिनकी जड़ में यह नकली दूध है। विशेषज्ञ बताते हैं कि बीमार पशुओं से जबरन ऑक्सीटॉक्सिन इंजेक्शन के ज़रिए दूध निकाला जा रहा है, जिससे दूध की गुणवत्ता और भी खराब हो रही है। बावजूद इसके नगर पालिका और फूड सेफ्टी अफसरों की चुप्पी चिंता का विषय है।

कैसे पहचानें नकली दूध?

  1. झागदार और पीला रंग: नकली दूध में अक्सर हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाया जाता है जिससे अधिक झाग बनता है और उबालने पर दूध हल्का पीला हो जाता है।
  2. कड़वा स्वाद: असली दूध हल्का मीठा होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद कड़वा होता है।
  3. पत्थर पर गिराने पर तुरंत बहना: अगर दूध पत्थर पर गिराते ही तेजी से बहने लगे तो उसमें पानी की मिलावट है। असली दूध धीरे बहता है और निशान छोड़ता है।

मिलावटी दूध से गंभीर बीमारियों का खतरा

  • कैंसर का खतरा
  • हड्डियों का कमजोर होना
  • गैस्ट्रिक और लिवर डिजीज
  • बच्चों में समय से पहले शारीरिक विकास
  • इम्यून सिस्टम पर असर

प्रशासन का रवैया लापरवाह


अब तक न तो नगर पालिका और न ही खाद्य विभाग ने किसी डेयरी पर बड़ी कार्रवाई की है। अधिकतर मामलों में सैंपलिंग और जांच की खानापूर्ति कर छोड़ दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग भी मूकदर्शक बना हुआ है, जबकि लोग इस नकली दूध को रोजमर्रा में उपयोग कर रहे हैं।


इनका कहना है


नकली दूध बेचना अपराध है। डेयरियों की जानकारी जुटाई जा रही है, लेकिन सैंपलिंग का काम नगर पालिका और फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट का है।
डॉ. आरए सेन उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं

पत्रिका व्यू


छतरपुर जैसे शहर में जहां बड़ी संख्या में लोग दूध पर निर्भर हैं, वहां मिलावटी दूध का बेधडक़ बिकना एक गंभीर संकट है। अब वक्त है कि प्रशासन, खाद्य विभाग और नगर पालिका संयुक्त अभियान चलाकर जांच करे, दोषियों पर कार्रवाई हो और लोगों को जागरूक किया जाए। यह सिर्फ एक स्वच्छता या खाद्य सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि लाखों लोगों की सेहत से जुड़ा सवाल है।

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