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छतरपुर

भगवान श्रीराम ने खर-दूषण राक्षसों के आतंक से त्रस्त लोगों की रक्षा का संकल्प लेकर धारण किया आजानु भुज स्वरूप

आजानु भुज स्वरूप धारण कर अपनी लंबी भुजाओं से राक्षसों का संहार किया। यह कथा मंदिर की दिव्यता को और अधिक प्रमाणित करती है। इस कथा का उल्लेख रामायण की अर्घाली चौपाई में भी किया गया है।

छतरपुरApr 06, 2025 / 10:29 am

Dharmendra Singh

janraitoriya

जानराय टौरिया मंदिर

शहर के महोबा रोड स्थित जानराय टौरिया में भगवान श्रीराम अजानभुज स्वरूप में विराजमान हैं। महंत भगवान दास महाराज के अनुसार, यह मंदिर वर्ष 1440 में अस्तित्व में आया था। मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक रोचक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि महंत के गुरु को एक रात स्वप्न में भगवान श्रीराम के दर्शन हुए, जिसमें उन्हें पहाड़ी पर एक विशेष स्थान पर भगवान की प्रतिमा मिलने का संकेत मिला। जब उस स्थान की खोज की गई, तो वहां वास्तव में भगवान श्रीराम की प्रतिमा प्राप्त हुई, जिसे यहां स्थापित कर दिया गया। यह मध्य प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां भगवान श्रीराम अकेले विराजमान हैं और उन्हें ‘अजान भुज सरकार’ के नाम से पूजा जाता है।

रामायण की अर्घाली चौपाई में उल्लेख


यह मंदिर न केवल अपनी अनूठी प्रतिमा के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसका उल्लेख रामायण में भी किया गया है। मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम ने बुंदेलखंड के इस क्षेत्र में खर-दूषण नामक राक्षसों के आतंक से त्रस्त लोगों की रक्षा का संकल्प लिया था। इस दौरान उन्होंने आजानु भुज स्वरूप धारण कर अपनी लंबी भुजाओं से राक्षसों का संहार किया। यह कथा मंदिर की दिव्यता को और अधिक प्रमाणित करती है। इस कथा का उल्लेख रामायण की अर्घाली चौपाई में भी किया गया है।

हनुमान प्रतिमा बना रहे


महंत भगवान दास महाराज बताते हैं कि वर्ष 1994 में उन्होंने भगवान श्रीराम के दर्शन किए थे, जिसमें उन्हें मंदिर की संपत्तियों का उचित प्रबंधन करने की प्रेरणा मिली। इसके बाद से वे मंदिर के विस्तार और विकास कार्यों में जुट गए। मंदिर परिसर पहले एक छोटे रूप में था, लेकिन अब यह क्षेत्र में एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में उभर रहा है। तीन वर्ष पूर्व मंदिर परिसर में 51 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया। महंत भगवान दास ने मऊसहानियां में महाराजा छत्रसाल की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम में भाग लिया था, जहां से उन्हें इस कार्य के लिए प्रेरणा मिली। अयोध्या में श्रीरामलला की भव्य स्थापना के बाद, उन्होंने इस विशाल प्रतिमा को बनाने का संकल्प लिया। मंदिर की आय और भक्तों के सहयोग से इस अष्टधातु प्रतिमा का निर्माण जारी है।

भक्तों के लिए जुटाई सुविधाएं


मंदिर तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा आवश्यक विकास कार्य किए गए हैं। सडक़ मार्ग, बिजली व्यवस्था, पेयजल सुविधा के साथ-साथ भक्तों के विश्राम के लिए धर्मशाला का भी निर्माण किया गया है। प्रसाद वितरण केंद्र भी संचालित किया जा रहा है, जिससे यहां आने वाले सभी भक्तों को नि:शुल्क प्रसाद मिल सके। विशेष पर्वों और त्योहारों के अवसर पर यहां विशाल आयोजन किए जाते हैं। रामनवमी, हनुमान जयंती और दीपावली पर भव्य अनुष्ठान होते हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

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