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Bilaspur High Court: जीएसटी विभाग को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने फर्म का बैंक खाता डी-फ्रीज करने का दिया आदेश, जानें पूरा मामला

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक प्रकरण में जीएसटी विभाग की कार्रवाई को अनुचित पाते हुए कंपनी का बैंक खाता डी फ्रीज करने का निर्देश दिया है।

बिलासपुरApr 13, 2025 / 11:50 am

Khyati Parihar

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Bilaspur High Court: बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक प्रकरण में जीएसटी विभाग की कार्रवाई को अनुचित पाते हुए कंपनी का बैंक खाता डी फ्रीज करने का निर्देश दिया है। विभाग ने खाते को फ्रीज कर लेनदेन पर रोक लगा दी थी।

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सक्ती जिला अंतर्गत बाराद्वार में इंडियन ट्रेड एंड ट्रांसपोर्ट कपनी की एक व्यवसायिक फर्म संचालित की जा रही है। यह फर्म प्रमुख रूप से ट्रेडिंग का कार्य करती है। जीएसटी विभाग द्वारा फर्म के विरुद्ध जीएसटी अधिनियम की धारा 73 के प्रावधानों के तहत जीएसटी कर का पुनर्निर्धारण करने के लिए नोटिस जारी किया गया। नोटिस में कहा गया कि फर्म द्वारा वित्तीय वर्ष सन् 2017-18 के वार्षिक जीएसटी रिटर्न में अनुचित रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया गया है।
साथ ही दिसबर 2023 में कर निर्धारण अधिकारी द्वारा एक आदेश पारित कर फर्म को अतिरिक्त जीएसटी ब्याज एवं दंड राशि जमा करने का आदेश दिया गया। फर्म के प्रोपराइटर के निजी बैंक बचत खाता को फ्रीज कर दिया गया। इसके विरुद्ध फर्म ने आयुक्त के समक्ष अपील प्रस्तुत की थी। आयुक्त ने सुनवाई के बाद अपील निरस्त कर दी। इसके विरुद्ध फर्म ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
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याचिका में बताया गया कि धारा 73 जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत जीएसटी रिटर्न फ़ाइल करने तथा वित्तीय वर्ष की समाप्ति के तीन वर्ष पश्चात जीएसटी कर का पुनर्निर्धारण नहीं किया जा सकता। विभाग द्वारा जारी पुनर्निर्धारण आदेश और ब्याज तथा अर्थदंड लगाना विधि विरुद्ध है। याचिका में तर्क दिया गया कि विशेष परिस्थितियों में जीएसटी टैक्स का पुनर्निर्धारण किया जा सकेगा जब इस संबंध में सीबीडीटी अथवा जीएसटी कौंसिल के द्वारा तीन वर्ष की समय सीमा में वृद्धि की गई हो। वर्तमान प्रकरण में समय सीमा में विस्तार की अवधि समाप्त हो चुकी थी।

ट्रिब्यूनल में अपील करने के निर्देश

हाईकोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ता फर्म द्वारा जीएसटी अपील ट्रिब्यूनल के समक्ष अपील प्रस्तुत की जाए तथा याचिकाकर्ता फर्म के प्रोपराइटर के बचत बैंक खाते को तत्काल प्रभाव से डी फ्रीज कर सामान्य रूप से संचालित करने की अनुमति दी जाए।

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