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भिखारियों पर भोपाल में अफसरों ने नहीं माने कलेक्टर के निर्देश

बेगर फ्री सिटी….निर्देश के नौ दिन बाद भी एसडीएम स्तर पर से टीम नहींबनी भोपाल.बेगर फ्री सिटी प्रोजेक्ट प्रशासनिक बेपरवाही का शिकार हो रहा है। दो अप्रेल को आठ प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने शहर से जुड़ी आठ एजेंसियों को मिलकर काम करने का कहा था। इसके तहत एसडीएम नजूलवार इन एजेंसियों को […]

भोपालApr 11, 2025 / 11:15 am

देवेंद्र शर्मा

MP News
बेगर फ्री सिटी….निर्देश के नौ दिन बाद भी एसडीएम स्तर पर से टीम नहींबनी

  • आठ विभागों को मिलकर प्रोजेक्ट पर काम करना तय हुआ था, अब तक कुछ नहीं हुआ
भोपाल.
बेगर फ्री सिटी प्रोजेक्ट प्रशासनिक बेपरवाही का शिकार हो रहा है। दो अप्रेल को आठ प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट पर काम करने शहर से जुड़ी आठ एजेंसियों को मिलकर काम करने का कहा था। इसके तहत एसडीएम नजूलवार इन एजेंसियों को शामिल कर टीम बनाएंगे। स्मार्टसिटी कमांड कंट्रोल रूम से इसे जोडऩा था और नगर निगम के माध्यम से भिखारियों को स्व रोजगार से जोडऩा तय था, लेकिन अब तक कोई टीम गठित नहीं की गई।
ऐसे समझे स्थिति

  • रोशनपुरा जैसे प्रमुख चौराहे पर भिखारियों को लेकर एक घंटे में भी कोई अनाउंसमेंट नहीं सुनाई दिया। जबकि यहां वाहन रूकते ही भिखारी उनसे भीख मांगना शुरू कर देते हैं।
  • अभियान में ट्रैफिक पुलिस को जोड़ा गया। सिग्रल पर भिखारी दिखने पर वे उसे रूकने नहीं देंगे और टीम को सूचित कर भिखारी से पूछताछ की व्यवस्थापित कराएंगे। दस नंबर तिराहा पर ट्रैफिक पुलिस की चौकी है और यहां से वाहन सडक़ पर न खड़ा करने लगातार अनाउंसमेंट किया जा रहा, लेकिन भीख मांग रहे भिखारियों को लेकर पौने घंटे में एक बार भी कुछ नहीं कहा गया। इन्हें जिम्मेदारी एजेंसी तक पहुंचाने और पुनर्वास कराने की बात तो बहुत दूर है।
  • एसडीएम स्तर पर धर्मगुरूओं व धर्मस्थल प्रबंधकों के साथ बैठक कर उन्हें अपने धर्मस्थल पर भिखारियों न रूकने देने के निर्देश दिए थे। अब तक एक भी बैठक नहीं हुई। 1100 क्वार्टर हनुमान मंदिर पर ही हर धर्मालु से बच्चे व महिलाएं भीख मांगती नजर आई, लेकिन एक बार भी इन्हें यहां से हटाने कोई जिम्मेदार व्यक्ति सामने नहीं आया।
    नोट- ये स्थितियां जाहिर कर रही है कि बेगर फ्री सिटी की बातें- बैठकें खूब हो रही, लेकिन जमीनी स्तर पर इसपर कोई काम नहीं हुआ।
मानसिक दिव्यांग व गुमशुदा का ही पुनर्वास
  • शहर में इस प्रोजेक्ट से जुड़े सामाजिक संगठन लगातार सक्रिय है, लेकिन बिना प्रशासनिक टीम के वे सामान्य भिखारियों पर वे कुछ नहीं कर सकते। बीते पंद्रह दिन में आठ भिखारियों का सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुनर्वास किया, लेकिन अधिकांश मानसिक दिव्यांग या गुमशुदगी की वजह से भटकने वाले ही रहे।
कोट्स
भोपाल में भिक्षावृत्ति प्रतिबंधित घोषित की हुई है और हम देखेंगे कि आखिर टीम ने क्या काम किया? इसपर जल्द ही समीक्षा की जाएगी। काम नहीं करने वालों पर कार्रवाई भी करेंगे।
  • कौशलेंद्र विक्रमसिंह कलेक्टर

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