जीतू पटवारी ने अपने पत्र में लिखा कि, कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में जनता भी निवास करती है, जो करदाता हैं और जिन्हें समान रूप से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों का लाभ मिलना चाहिए। यदि एक लोकतांत्रिक सरकार ही अपने दायित्वों का निर्वहन भेदभाव के आधार पर करने लगे, तो इससे जनता का विश्वास प्रणाली से उठ जाएगा।’
भष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप
वहीं जीतू पटवारी ने अपने पत्र में विधायकों को मिलने वाली विकास निधि में भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा कि, ‘भाजपा के विधायकों को मिलने वाली इस निधि का 30-40% हिस्सा पहले ही भष्टाचार और कमीशनखोरी में चला जाता है। इसके बाद भी नौकरशाही और ठेकेदारी के स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार और कमीशन का बोलबाला है, जिससे जनता के विकास के नाम पर स्वीकृत धन का बहुत कम अंश वास्तविक कार्यों में लगता है। यदि मोटे तौर पर अनुमान लगाया जाए तो एक लाख रुपए में से करीब 65 से 70 हजार रुपया भ्रष्टाचार और कमीशन में चला जाता है और केवल 30-35% राशि विकास के नाम पर खर्च होती है।’