सनेती याने नकली शव यात्रा में बनी अर्थी पर जीवित व्यक्ति होता है। वह कभी अपना एक हाथ बाहर निकालता है तो कभी हिलता-डुलता है। यहां तक की अपने उड़ते कफ़न को भी खुद ही ठीक कर लेता है। अर्थी जब अंतिम पड़ाव पर पहुंचती है तो वह उठ कर भागने की कोशिश करता है, तब मुर्दे की सवारी में शामिल लोग उसे जबरन सुला देते हैं। यह अनूठी परंपरा वस्त्रनगरी में शीतला सप्तमी पर पिछले 200 सालों से निभाई जा रही है। इस मुर्दे की सवारी में बड़ी संख्या में लोग रंग गुलाल उड़ाते शामिल होते हैं।
अर्थी पर सुलाया गया व्यक्ति शहर में बडे मंदिर पास पहुंचते ही अर्थी से कूदकर भाग जाता है। इसके बाद यहां अर्थी को जला दिया जाता है। शीतला सप्तमी पर्व पर शहर में 21 मार्च को जिला कलक्टर की ओर से स्थानीय अवकाश भी घोषित है।