16 दिन और 16 शृंगार ईसर-गणगौर को सुंदर वस्त्र पहनाकर संपूर्ण सुहाग की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। चंदन, अक्षत, धूप, दीप, दूब घास और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। 16 दिन तक दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी, हल्दी और काजल लगाया जाता है। हरी दूब से पानी के 16 बार छींटे 16 शृंगार के प्रतीकों पर लगाए जाते हैं। महिला संगठनों की ओर से ईसर-गणगौर की सवारी निकाली जाती है। गणगौर का पर्व 31 मार्च को मनाया जाएगा।
पीपल वृक्ष का पूजन होगा होली दहन के दूसरे दिन से धूलंडी से दशामाता की कथा भी शुरू हुई। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन दशामाता का पूजन किया जाएगा। तिथि के अनुसार दशामाता का व्रत इस बार 24 मार्च को रखा जाएगा। महिलाएं पीपल वृक्ष का कुमकुम, मेहन्दी, लच्छा, सुपारी, सूत से पूजन करेंगी। परिवार में अच्छी आर्थिक स्थिति और सुख शांति की कामना करेंगी।