इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हो गई है। एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार ने आरोप लगाया कि सरकार युवाओं और किसानों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, “बीजेपी और उसके सहयोगी संगठन हमेशा इतिहास को बदलने की कोशिश करते हैं। सच यह है कि औरंगजेब छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के शासन में एक इंच भी जमीन पर कब्जा नहीं कर सका। छत्रपति संभाजी महाराज के बाद भी शिवाजी के विचारों से प्रेरित मराठा सैनिकों ने उन्हें कभी भी कोई जमीन पर कब्जा नहीं करने दिया। यह कब्र इस बात का प्रतीक है कि एक शक्तिशाली शासक अंत में सिर्फ एक कब्र तक सिमटकर रह गया। इतिहास को संरक्षित रखना जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां इसे जान सकें।”
वहीँ, कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंढे पाटिल ने भी इस मामले पर बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था चरमरा गई है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें बिजली और पानी नहीं मिल रहा, बेरोजगारी बढ़ रही है। इन असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए बीजेपी हिंदू-मुस्लिम विवाद खड़ा कर रही है। लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए उन्हें ऐतिहासिक विषयों में उलझाया जा रहा है। लेकिन इस बार लोग उनके झांसे में नहीं आने वाले हैं। उन्हें असली मुद्दों पर चर्चा करनी होगी।”
केंद्रीय मंत्री ने किया समर्थन
वहीं, केंद्रीय मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग पूरी तरह सही है। दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी नेता ने कहा, “औरंगजेब ने महाराष्ट्र के लोगों पर अत्याचार किए, मंदिरों को तोड़ा, इसलिए उसकी कब्र यहां नहीं होनी चाहिए।”
कब्र परिसर में बढ़ाई गई सुरक्षा
इस पूरे मामले को लेकर माहौल तनावपूर्ण है। प्रशासन पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए खुल्दाबाद में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य आरक्षित पुलिस बल (SRPF) के 115 सशस्त्र कर्मियों, दंगा नियंत्रण दस्ते के 25 जवान, स्थानीय थानों के 60 पुलिसकर्मी और भारतीय पुरातत्व विभाग के निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती की गई है। वरिष्ठ अधिकारी भी लगातार निगरानी कर रहे है। पर्यटकों की सख्ती से तलाशी लेने के बाद ही उन्हें कब्र के करीब जाने दिया जा रहा है। जहां विपक्षी दल इसे सियासी मुद्दा बता रहे हैं, जबकि हिंदू संगठनों का कहना है कि वे अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे।