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बरेली

नगर निगम में कंप्यूटर ऑपरेटरों पर धड़ाधड़ कार्रवाई तेज, लेकिन एजेंसी पर मेहरबान अफसर, कार्रवाई क्यों नहीं

नगर निगम में अफसरशाही हावी है। आउटसोर्सिंग से रखे गए कंप्यूटर ऑपरेटरों को अयोग्य बताकर बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन जिनकी जिम्मेदारी थी- इग्नाइटेड सॉफ्ट एजेंसी, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं, नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य को भी पूरे मामले से गुमराह किया गया।

बरेलीMar 10, 2025 / 09:32 pm

Avanish Pandey

बरेली। नगर निगम में अफसरशाही हावी है। आउटसोर्सिंग से रखे गए कंप्यूटर ऑपरेटरों को अयोग्य बताकर बर्खास्त कर दिया गया, लेकिन जिनकी जिम्मेदारी थी- इग्नाइटेड सॉफ्ट एजेंसी, उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं, नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य को भी पूरे मामले से गुमराह किया गया।

कैसे हुआ घोटाला?

नगर निगम में 51 कंप्यूटर ऑपरेटरों को इग्नाइटेड सॉफ्ट नाम की एजेंसी के जरिए नियुक्त किया गया था। हाल ही में हुई जांच में 30 ऑपरेटरों की दक्षता असंतोषजनक पाई गई। आरोप है कि ये ऑपरेटर गूगल की मदद से काम चला रहे थे और टाइपिंग तक नहीं जानते थे। 2024 की नगर निगम बोर्ड बैठक में पार्षद राजेश अग्रवाल ने इस नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। उन्होंने मांग की थी कि इन नियुक्तियों के लिए सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण हुआ या नहीं, इसकी जांच हो। पहले भी पांच ऑपरेटरों को गड़बड़ी सामने आने पर हटा दिया गया था, लेकिन एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

नगर निगम के अफसर एजेंसी को क्यों बचा रहे?

सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जब ऑपरेटरों को बर्खास्त किया गया तो एजेंसी पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? नगर निगम के कुछ अफसरों और इग्नाइटेड सॉफ्ट एजेंसी के बीच तालमेल होने की बात सामने आ रही है। ऑपरेटरों की गलती पर तुरंत कार्रवाई, लेकिन एजेंसी पर नोटिस तक नहीं दिया गया है। नगर आयुक्त को अधूरी जानकारी देकर गुमराह किया गया। इससे समिति की जांच रिपोर्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं।

जांच कमेटी बनी दिखावा, बड़ी एजेंसियों को बचाने का आरोप

नगर निगम में हर जांच के लिए एक समिति गठित होती है, जिसमें अपर नगर आयुक्त सुनील कुमार यादव, मुख्य अभियंता मनीष अवस्थी समेत अन्य अधिकारी होते हैं। लेकिन हर बार ये समिति सिर्फ छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई करती है, जबकि बड़ी एजेंसियों को बचा लिया जाता है। आउटसोर्सिंग ऑपरेटर घोटाले में भी यही हुआ। ऑपरेटरों को बाहर कर दिया गया, लेकिन एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह मामला नगर निगम प्रशासन के लिए गले की फांस बन सकता है।

नगर आयुक्त का बयान

नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने इस मामले में बताया कि इसकी गंभीरता से जांच की जाएगी, जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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