ये विचार सतपाल महाराज की शिष्या महात्मा पार्वती बाई ने मानव उत्थान सेवा समिति भिवाड़ी शाखा की ओर से कालीखोली मार्ग पर स्थित नेशनल स्कूल में आयोजित दो दिवसीय सत्संग समारोह में मुख्य वक्ता पद से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हवा व पानी जीवन के लिए अनिवार्य है ,लेकिन पानी व वायु जीवन शक्ति नहीं है। जीवन शक्ति अत्यंत सूक्ष्म है। वो आंखों से नहीं दिखाई देने वाले सूक्ष्म जीवों में भी है तो विशाल काय जीवों में भी है। जीवन शक्ति का ज्ञान उस शक्ति को जानने वाले आत्म अनुभवी संत ही कराते है। हमें संतों से जीवन शक्ति का ज्ञान लेना चाहिए। आत्मा के ज्ञान से ही जीवन का कल्याण होगा।
उन्होनें भक्तों के चार प्रकार आर्त, जिज्ञासु, अर्थाती व ज्ञानी का वर्णन कर ज्ञान को सर्व श्रेष्ठ बताया और ज्ञान को जानने पर जोर दिया। कार्यक्रम में महात्मा सुनीति बाई, महात्मा मधुलता बाई, महात्मा निरंजनी बाई ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर सेक्टर आठ पानी की टंकी के पास स्थित आश्रम से सत्संग स्थल तक िकलश यात्रा निकाली गई। कार्यक्रम में रामकुमार पटेल, विष्णु मोदी, किरोड़ीमल गुप्ता, दीपक खण्डेलवाल, रविन्द्र सिंह, सावित्री मोदी, रूकमणी गुप्ता, आशा मोदी, सीमा गुप्ता, रूपा दुबे सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। कार्यक्रम के बाद भण्डारे का आयोजन किया गया।