अलवर के उमरैण में बाड़ का बाग में उद्यान विभाग की राजहंस नर्सरी है। जिसका खसरा नंबर 36, 43 और 44 है। संवत 2051 के पूर्व उक्त भूमि के खसरा नंबर 36, 43 और 44 महकमा बागात के नाम से दर्ज थे। भू-प्रबंध विभाग ने संवत 2051 के बाद सेटलमेंट ऑपरेशन के दौरान सहवन से खसरा नंबर 36 जंगलात विभाग के नाम तथा खसरा नंबर 43 व 44 सिंचाई विभाग के नाम दर्ज कर दिए।
उद्यान विभाग अलवर के उपनिदेशक द्वारा राजस्व रिकॉर्ड में दुरुस्त करवाने की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन खुद का कब्जा न होते हुए तथा राजस्व रिकॉर्ड दुरुस्ती प्रक्रियाधीन होने के बीच में ही जल संसाधन विभाग के ईआरसीपी ने इस जमीन का खसरा नंबर 44 की 7 बीघा जमीन को नीलाम कर दिया। अब कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने जल संसाधन विभाग के एसीएस अभय कुमार को जमीन की नीलामी निरस्ती की कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है।
सूत्रों के अनुसार जल संसाधन विभाग ने उद्यान विभाग के बाड़ का बाग की करीब 7 बीघा जमीन को हरियाणा के एक भूमाफिया को करीब 3 हजार रुपए वर्गगज की दर से नीलाम कर दिया। जबकि इस जमीन की कीमत 15 से 18 हजार रुपए वर्गगज है। सरकारी जमीन पर हुए इस खेल में अलवर के भी तीन-चार भूमाफिया शामिल बताए जा रहे हैं।
राजहंस नर्सरी बाड़ का बाग की जमीन पर शुरुआत से ही इस जमीन पर उद्यान विभाग का कब्जा है। इसमें आम, अमरूद और जामुन के बड़े-बड़े हजारों पेड़ लगे हुए हैं। जिससे उद्यान विभाग को हर साल करीब 70 हजार रुपए की आय होती है।