लिटिल आइस एज (LALIA)
वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार लगभग 572 साल पहले, रोम साम्राज्य के पतन के समय एक असामान्य बर्फ युग (LALIA) ने विश्वभर में तापमान में गिरावट आई। यह जलवायु परिवर्तन साम्राज्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया, क्योंकि यह पहले से ही राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा था। तापमान में गिरावट से यूरोप में गंभीर कुप्रभाव हुए, जैसे फसल विफलता, अकाल, और जानवरों की मृत्यु दर में वृद्धि।
यह जलवायु परिवर्तन असामान्य था
वैज्ञानिकों ने आइसलैंड की चट्टानों और उसमें मौजूद खनिजों का विश्लेषण कर यह प्रमाण जुटाया कि यह जलवायु परिवर्तन असामान्य था और इसका असर विशेष रूप से पूर्वी रोम साम्राज्य (बाइजेंटाइन साम्राज्य) पर पड़ा। इस अध्ययन के अनुसार प्राचीन रोम साम्राज्य के पतन में एक छोटा बर्फ युग यानि “लेट एंटीक लिटिल आइस एज” या LALIA की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही। इस बर्फ युग के कारण तीन विशाल ज्वालामुखीय विस्फोट थे, जिनसे निकली राख से वैश्विक तापमान कम हुआ और इससे रोम साम्राज्य के हालात पर गहरा प्रभाव पड़ा।
ज्वालामुखीय विस्फोट और उनके प्रभाव
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस बर्फ युग की वजह तीन विशाल ज्वालामुखीय विस्फोट थे। इन विस्फोटों से निकली राख से सूर्य की रोशनी रुक गई, जिससे पृथ्वी का तापमान बहुत अधिक गिर गया। इस घटना ने तत्काल प्रभाव से यूरोप में गर्मी में कमी आई, जिससे कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई और खाद्य संकट पैदा हो गया।
कृषि संकट और खाद्य महंगाई
वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक तापमान में गिरावट और कम धूप से यूरोप में कृषि उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। जहां एक ओर फसलें समय से पहले मुरझा गईं और वहीं दूसरी ओर खाद्य संकट उत्पन्न हुआ। खाद्य की इस कमी से महंगाई बढ़ी और यह गरीबों के लिए गुजर बसर और भी अधिक मुश्किल हो गया। बढ़ती महंगाई और आर्थिक कठिनाइयों से साम्राज्य में असंतोष उपजा।
महामारी और अकाल का सामना
वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार रोम में पैदा हुए कृषि संकट और खाद्य की कमी के कारण साम्राज्य में महामारी और अकाल का प्रकोप बढ़ गया। इससे जनता की सेहत पर गंभीर असर पड़ा और समाज में अव्यवस्था फैलती गई। यह स्थिति रोम साम्राज्य के लिए एक बड़ा झटका थी, क्योंकि महामारी और अकाल के कारण पहले से कमजोर हो चुका साम्राज्य और भी अस्थिर हो गया।
पूर्वी और पश्चिमी रोम साम्राज्य पर प्रभाव
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि सन 286 ईस्वी में रोम साम्राज्य दो हिस्सों में विभाजित हो गया था , ये थे पश्चिमी रोम साम्राज्य और पूर्वी रोम साम्राज्य। जब जलवायु परिवर्तन और उसका प्रभाव बढ़ा, तो पश्चिमी साम्राज्य पहले ही कमजोर हो चुका था और इसके गिरने का कारण पहले ही स्पष्ट था। हालांकि, पूर्वी रोम साम्राज्य (जिसे बाद में बीजान्टिन साम्राज्य कहा गया) पर इस जलवायु परिवर्तन का गहरा असर पड़ा। तापमान में गिरावट ने इसे भी आर्थिक और सामाजिक संकट में डाल दिया।
वैज्ञानिक अनुसंधान और चट्टानों का विश्लेषण
इस शोध में वैज्ञानिकों ने आइसलैंड के पश्चिमी तट पर एक उच्च स्थान पर स्थित चट्टानों का विश्लेषण किया। इन चट्टानों में पाए गए मिनरल क्रिस्टल्स (जिरकों) से यह पता चला कि ये चट्टानें उस समय के बर्फ के टुकड़ों के साथ वहां पहुंचीं थीं। इस विश्लेषण से वैज्ञानिकों को यह प्रमाण मिला कि लिटल आइस एज के दौरान बर्फ के टुकड़ों और राख से जलवायु प्रभावित हुई और साम्राज्य में संकट गहराया।
लिटल आइस एज के कारण कमजोर हुआ साम्राज्य
बहरहाल वैज्ञानिकों के इस अध्ययन से यह बात सामने आई है कि रोम साम्राज्य का पतन केवल आंतरिक राजनीतिक कारणों या बाहरी हमलों के कारण नहीं हुआ था, बल्कि जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से लिटल आइस एज की प्रभावशीलता के कारण साम्राज्य कमजोर हुआ था।