घरेलू कामकाज की रिपोर्ट देखकर चौंक जाएंगे आप, जानें पुरुषों और महिलाओं में कौन निभा रहा ज्यादा भागीदारी
दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में घरेलू कार्यों में लैंगिक विभाजन बना हुआ है। हालांकि पूर्वोत्तर के कुछ राज्य हैं, जहां शहरी पुरुषों की घरेलू कार्यों में भागीदारी अपेक्षाकृत अधिक है।
रुद्रेश शर्मा एक तरफ कामकाज के घंटों को लेकर भारत समेत दुनियाभर के देशों में बहस छिड़ी है। वहीं, केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के टाइम यूज सर्वे की रिपोर्ट देश में वैतनिक एवं अवैतनिक कार्य (घरेलू कार्य) में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच लैंगिक असमानता को उजागर करती है।
मंत्रालय की ओर से वर्ष 2019 के बाद 2024 का दूसरा टाइम यूज सर्वे जारी किया गया है। इसके अनुसार बिना वेतन वाले घरेलू कार्यों में महिलाओं की संलिप्तता बढ़ी है। घरेलू कार्य जैसे- खाना बनाना, खरीदारी, बच्चों-बुजुर्गों की देखभाल आदि में उनकी भागीदारी पुरुषों से अधिक है। दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में घरेलू कार्यों में लैंगिक विभाजन बना हुआ है। हालांकि पूर्वोत्तर के कुछ राज्य हैं, जहां शहरी पुरुषों की घरेलू कार्यों में भागीदारी अपेक्षाकृत अधिक है।
महिलाएं औसतन हर दिन 289 मिनट (4 घंटे 49 मिनट) बिना वेतन के घरेलू कार्य में बिताती हैं। दूसरी ओर पुरुष इसी तरह के कार्य पर दिन में 88 मिनट (1 घंटा 28 मिनट) खर्च करते हैं। महिलाएं रोज औसतन 137 मिनट (2 घंटे 17 मिनट) बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल में बिताती हैं, जबकि पुरुष इसमें केवल 75 मिनट (1 घंटा 15 मिनट) खर्च करते हैं।
हिमाचल – 65.2 – 22.9 – 53.3 – 81.4 कर्नाटक – 63.2 – 21.6 – 43.1 – 81.8 महाराष्ट्र – 62.9 – 19.0 – 35.0 – 84.5 पंजाब – 63.9 – 19.1 – 45.0 – 85.0 स्रोत : केंद्र सरकार का टाइम यूज सर्वे 2024 (%में)
कई राज्यों में निभा रही दोहरी जिम्मेदारी
तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक व हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की वेतनभोगी कार्यों में उच्च भागीदारी है। 80% से अधिक महिलाएं घरेलू कार्यों में भी संलग्न है। इससे साफ है कि वह दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं।
घरेलू कार्यों में पुरुषों की हिस्सेदारी बढ़ी
बिना वेतन वाली सेवाओं- घरेलू लेखांकन और प्रबंधन, सामान खरीदना, भोजन बनाना/परोसना, कचरा निपटान, सफाई, घर का रखरखाव और बागवानी आदि में शहरी महिलाओं की संख्या 79.3 से बढ़कर 81% हो गई, जबकि पुरुषों की संख्या 23 से बढ़कर 28.5% हो गई।
शहरी पुरुषों और महिलाओं द्वारा बच्चों, बीमार, बुजुर्गों और दिव्यांग व्यक्तियों की देखभाल में बिताए गए समय में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे कार्यों में संलग्न महिलाओं का प्रतिशत 25.9 से बढ़कर 31.8%, जबकि पुरुषों का 12.9 से बढ़कर 17.3% हो गया है।
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