गौरव के पिताजी अभिषेक पारीक कारोबारी है। गौरव ने बताया कि शिक्षकों के अलावा मां ममता पारीक ने इस सफलता के लिए हौसला बढ़ाया। गौरव के माता पिता ने बताया कि परीक्षा की तैयारी के दौरान गौरव के चिकन पॉक्स हो गए। लेकिन बीमारी से हार मानने के बजाय अपने अध्ययन को नहीं रोका और अपने लक्ष्य के लिए जुटा रहा।
दो साल की तैयारी के दौरान गौरव ने किसी भी पारिवारिक या सामाजिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ। खास बात यह है कि गौरव में सफलता का जुनून ऐसा रहा कि कभी क्लास भी मिस नहीं की। गौरव ने बताया कि नियमित रूप से मैट्रिक्स संस्थान के शिक्षकों के मार्गदर्शन को फॉलो किया। होनहार ने बताया कि यहां का कंटेंट और कम्पीटिशन दोनों बेस्ट हैं।
वीकली टेस्ट में मार्क्स का ग्राफ कम-ज्यादा होता रहा लेकिन मैं अपना बेस्ट देने की कोशिश करता रहा। हर टेस्ट के बाद सेल्फ एनालिसिस करता और गलतियों को टारगेट कर उन्हें दूर करने की कोशिश की। रोजाना लगभग 8 से 9 घंटे सेल्फ स्टडी करता की।
सफलता के लिए मेहनत का रोडमैप जरूरी
कॅरियर को लेकर प्लानिंग करना हर यूथ के लिए बेहद जरूरी है। प्लानिंग के बाद अपने लक्ष्य को सफलता के गोल में बदलने के लिए रोडमैप जरूरी है। इसके लिए दिनचर्या तय करनी होगी। उन्होंने बताया कि हर युवा सफलता का परचम लहरा सकता है, लेकिन मेहनत जरूरी है।